
राखीगढ़ी की प्राचीन धरती, जिसने हजारों वर्षों से सभ्यता की कहानियों को अपने भीतर समेट रखा है, एक बार फिर इतिहास से जुड़ने जा रही है। इसी पावन माटी से अयोध्या के भव्य राम मंदिर के लिए ‘राम दरबार’ की प्रतिमा का निर्माण किया गया है, जिसे मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। हरियाणा की मिट्टी से बनी यह कलाकृति न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को भी वैश्विक पहचान दिलाने जा रही है।
हरियाणा के लिए गौरव का क्षण
राखीगढ़ी महोत्सव के दौरान जहां देशभर से प्रसिद्ध कलाकारों का जमावड़ा लगा, वहीं हरियाणा के युवा मूर्तिकार प्रदीप कुमार की कला ने विशेष पहचान बनाई। जींद जिले के गांव खांडा खेड़ी में बने भारत मित्र स्तंभ से पहचान हासिल करने वाले प्रदीप अब अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली राम दरबार की प्रतिमा के निर्माता हैं। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे हरियाणा के लिए गर्व का विषय है।
कागज से माटी तक का रचनात्मक सफर
प्रदीप कुमार की कला यात्रा साधारण स्केच से शुरू हुई। सफेद कागज पर रेखाओं से आकार गढ़ने के बाद उन्होंने मिट्टी को माध्यम बनाया और मूर्तिकला में अपनी अलग पहचान बनाई। वह जींद के इंडस शिक्षण संस्थान से जुड़े रहे हैं और वर्तमान में किनाना स्थित इंडस ग्लोबल एकेडमी में उन्होंने माटी आर्ट स्टूडियो की स्थापना की है, जहां उनकी रचनात्मकता आकार लेती है।
भारत मित्र स्तंभ से राष्ट्रीय पहचान तक
प्रदीप की सफलता की कहानी उस समय नई दिशा में बढ़ी, जब हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने अपने स्वर्गीय पिता की स्मृति में गांव खांडा खेड़ी में भारत मित्र स्तंभ के निर्माण की योजना बनाई। इस परियोजना के लिए देशभर के सैकड़ों कलाकारों में से प्रदीप का चयन हुआ। करीब तीन वर्षों की मेहनत में उन्होंने स्तंभ के लिए कई अद्भुत कलाकृतियां तैयार कीं, जिन्होंने सबका ध्यान खींचा।
इन कलाकृतियों को प्रदीप ने सोशल मीडिया पर साझा किया, जहां से उनकी कला देशभर में चर्चा का विषय बनी। पद्मश्री से सम्मानित वासुदेव कामन ने उनके कार्य को देखकर अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट को इसकी जानकारी दी। इसके बाद प्रदीप को दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन बुलाया गया, जहां देश के हजारों मूर्तिकारों में से केवल चार कलाकारों का चयन हुआ। इनमें हरियाणा के प्रदीप कुमार को राम दरबार की प्रतिमा बनाने का सौभाग्य मिला।
‘राम दरबार गढ़ना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य’
प्रदीप कुमार बताते हैं कि उन्हें राम दरबार का एक प्रारंभिक चित्र दिया गया था। उन्होंने इसे हरियाणा की माटी का सम्मान मानते हुए उसी मिट्टी से प्रतिमा का मॉडल तैयार किया। कार्य के दौरान राम मंदिर ट्रस्ट की समिति ने दो बार निरीक्षण किया और आवश्यक सुधार भी सुझाए, जिन्हें उन्होंने बारीकी से पूरा किया।
इस मॉडल को एफआरपी फाइबर ग्लास में तैयार कर राम मंदिर ट्रस्ट के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। इसी मॉडल के आधार पर राजस्थान में प्रतिमा को अंतिम रूप दिया गया, जहां अधिकतर कार्य आधुनिक मशीनों से और कुछ हिस्से पारंपरिक मूर्तिकारों द्वारा तराशे गए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चमक रही हरियाणा की कला
प्रदीप कुमार की कला अब देश की सीमाओं से आगे बढ़ चुकी है। वर्तमान में वह न्यूयॉर्क के एक जैन मंदिर के लिए मूर्तियां गढ़ने का कार्य कर रहे हैं। बीते वर्ष प्रयागराज कुंभ में भी उनके द्वारा 10 से 11 मूर्तियां बनाई गई थीं। उनकी बनाई नटराज की प्रतिमा आज भी प्रयागराज एयरपोर्ट के सामने श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।
हरियाणा की माटी से जन्मी यह राम दरबार प्रतिमा न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगी, बल्कि भारतीय कला और शिल्प परंपरा की जीवंत मिसाल के रूप में भी सदियों तक याद रखी जाएगी।














