जासूसी के आरोपों में घिरी यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के मामले में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा सामने आया है। हिसार पुलिस को ज्योति के फोन और लैपटॉप से जुड़ी फॉरेंसिक डेटा रिपोर्ट मिल चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, उसके डिजिटल डिवाइसेज़ से करीब 12 TB डेटा बरामद हुआ है, जिसे पुलिस अब गंभीरता से जांच रही है।
पहले से केंद्रीय एजेंसी की नजर में थी ज्योति मल्होत्रा
सूत्रों के मुताबिक, ज्योति की गतिविधियों पर केंद्रीय एजेंसियों की पहले से ही नजर थी। पाकिस्तान की पहली यात्रा के बाद उसे वहां का स्पेशल वीजा भी मिला था। जैसे ही दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बने, देश की सुरक्षा के मद्देनज़र उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया।
पाकिस्तान के 4 जासूसों से था संपर्क
जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि ज्योति मल्होत्रा पाकिस्तान के चार जासूसों के संपर्क में थी। उसके साथ ब्रेनवॉशिंग कर उसे “मेजर एसेट” के तौर पर तैयार किया जा रहा था। वह ISI एजेंट्स की पहचान जानते हुए भी उनसे लगातार संपर्क में थी, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया।
'सॉफ्ट टारगेट' बन गई थी ज्योति
एजेंसियों ने यह भी पाया है कि ज्योति मल्होत्रा जैसे सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां "सॉफ्ट टारगेट" के रूप में इस्तेमाल कर रही थीं। हिसार पुलिस को संदिग्ध मनी ट्रेल भी मिला है, जिसकी विस्तृत जांच की जा रही है। हालांकि, फिलहाल संवेदनशील जानकारी लीक होने का कोई ठोस सबूत पुलिस के पास नहीं है।
पाकिस्तान यात्रा के वीडियो से बढ़े फॉलोअर्स
जब ज्योति ने पाकिस्तान की पहली यात्रा की, तब उसे ISI और पाक गृह मंत्रालय की अनुमति से विशेष सुरक्षा भी प्रदान की गई थी। उसके बाद वीडियो कंटेंट के कारण उसके फॉलोअर्स और व्यूज़ में अचानक उछाल आया। पुलिस का कहना है कि वह जानबूझकर ISI की योजनाओं में सहयोग कर रही थी ताकि उसे पाकिस्तान में विशेष सुविधाएं मिलती रहें।
मजबूत डिजिटल सबूतों से घिरी ज्योति
पुलिस को मिले डिजिटल सबूत इतने मजबूत हैं कि ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज किया जा सकता है। उसे पाकिस्तान में जो VIP ट्रीटमेंट मिला, वह ISI का एक आम तरीका है जिससे वो सोशल मीडिया के प्रभावशाली चेहरों को प्रलोभन देकर अपने काम में शामिल करते हैं।
गिरफ्तारी से टला बड़ा सुरक्षा संकट
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, ज्योति की गिरफ्तारी समय पर हुई, जिससे एक बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा संकट टल गया। वह पहले से ही PIOs के इशारों पर काम कर रही थी ताकि उसे व्यक्तिगत लाभ मिल सके। भारतीय एजेंसियां उसकी पहली पाकिस्तान यात्रा से ही उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थीं। अब पुलिस उसके पास आने वाली फंडिंग के स्रोत की भी गहन जांच कर रही है।