
चंडीगढ़/रोहतक। हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और एडीजीपी रैंक के अफसर वाई. पूरन कुमार की कथित आत्महत्या को पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन उनका अंतिम संस्कार अब तक नहीं हो पाया है। परिवार की असहमति के चलते पोस्टमार्टम प्रक्रिया रुकी हुई है, और इस पूरे मामले ने प्रशासनिक हलकों में गहरी हलचल पैदा कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, परिवार की मंजूरी मिलने के बाद ही पोस्टमार्टम किया जाएगा। फिलहाल, शव को सुरक्षित रखा गया है। इस बीच, हरियाणा पुलिस ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए छह सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का निर्णय लिया है।
IAS पत्नी ने उठाए एफआईआर पर सवाल
आईपीएस पूरन कुमार की पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने पुलिस को पत्र लिखकर एफआईआर पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि रिपोर्ट में कई अहम बिंदु और अभियुक्तों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं किए गए हैं। उन्होंने मांग की है कि सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
इस मामले में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारिया के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।
परिजनों और राजनीतिक नेताओं का आरोप
AAP विधायक और पूरन कुमार के साले अमित रतन ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि परिजनों की अनुमति के बिना शव को शिफ्ट किया गया है और जबरन पोस्टमार्टम कराने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि परिवार को अभी तक न्याय नहीं मिला है और सरकार मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।
दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इस घटना पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि यह नौकरशाही में बढ़ती संकीर्ण मानसिकता और असहिष्णुता का परिणाम है। उन्होंने कहा, “एक ईमानदार और मेहनती अधिकारी को जाति और क्षेत्रवाद की राजनीति ने तोड़ दिया।”
जांच SIT को सौंपी गई
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने 6 सदस्यीय SIT गठित की है, जो आत्महत्या के कारणों और प्रशासनिक दबाव के पहलुओं की जांच करेगी। टीम में वरिष्ठ फोरेंसिक विशेषज्ञों और क्राइम ब्रांच अधिकारियों को शामिल किया गया है।
फिलहाल, परिवार और प्रशासन के बीच पोस्टमार्टम को लेकर गतिरोध बना हुआ है। अंतिम संस्कार की तारीख तय नहीं हो सकी है, और पूरा मामला हरियाणा पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है।














