
नई दिल्ली। भारत ने सेमीकंडक्टर तकनीक के क्षेत्र में मंगलवार को एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की, जब 'सेमीकॉन इंडिया 2025' सम्मेलन के दौरान केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की पहली 'मेड-इन-इंडिया' चिप भेंट की। यह क्षण भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
इस अवसर पर कुल 12 समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए, जिनका फोकस कैमरा मॉड्यूल, माइक्रोफोन बड्स, मिनिएचर पैकेजिंग और टैलेंट डेवलपमेंट इकोसिस्टम जैसे स्वदेशी क्षेत्रों पर रहा। सम्मेलन में वैष्णव ने 'डीप टेक अलायंस' की भी घोषणा की, जिसमें 1 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता पहले ही मिल चुकी है। फिलहाल यह गठबंधन सेमीकंडक्टर्स पर केंद्रित रहेगा, लेकिन आगे चलकर स्वच्छ ऊर्जा, बायोटेक्नोलॉजी, क्वांटम टेक्नोलॉजी और स्पेस रिसर्च जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार करेगा।
मंत्री ने बताया कि भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण लागत वैश्विक मानकों से 15–30 प्रतिशत अधिक प्रतिस्पर्धी है। सरकार ने कभी भी जल्दबाजी में किसी परियोजना को मंजूरी नहीं दी, बल्कि हर प्रोजेक्ट का व्यावसायिक मूल्यांकन कर उसे स्वीकृति दी, जिससे स्थायी विकास की नींव मजबूत हो सके। फिलहाल भारत में दो सेमीकंडक्टर फैब्स चालू हैं और कई अन्य पाइपलाइन में हैं, जो भारत की इस क्षेत्र में स्थिर और सुदृढ़ प्रगति का प्रमाण हैं।
सम्मेलन के दौरान एक अनोखी पहल में भारतीय छात्रों द्वारा डिजाइन और तैयार की गई 20 चिप्स प्रधानमंत्री को भेंट की गईं। वर्तमान में देश की 78 यूनिवर्सिटी उन्नत टूल्स के साथ काम कर रही हैं और इसने भारत के सेमीकंडक्टर टैलेंट पूल को इतना मजबूत बना दिया है कि अब यह वैश्विक वर्कफोर्स का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है।
भारत में 28 से अधिक स्टार्टअप्स 'प्रोजेक्ट टू प्रोडक्ट' की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। हालिया समझौते IoT चिपसेट और कैमरा सिस्टम्स के विकास पर केंद्रित हैं। IIT मद्रास जैसे संस्थानों ने स्वदेशी माइक्रोकंट्रोलर और प्रोसेसर विकसित किए हैं, जबकि डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना के अंतर्गत कई बहुमूल्य आईपी सामने आए हैं और 25 प्राथमिक उत्पादों की पहचान की गई है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंच सकती है। भारत अब भरोसे, प्रतिभा और तकनीकी नवाचार के बल पर वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। सम्मेलन में पेश की गई यह 'मेड-इन-इंडिया' चिप भारत के सेमीकंडक्टर मिशन की तीव्र प्रगति का प्रत्यक्ष प्रमाण है।














