
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए हार-हताशा वाले बयान ने विपक्षी दलों में खलबली मचा दी है। पीएम मोदी ने सदन में प्रवेश करने से पहले मीडिया से बातचीत में बिहार चुनाव के परिणामों का जिक्र करते हुए कहा कि विपक्ष को हार की हताशा से बाहर निकलकर संसद में कामकाज करने देना चाहिए। उनका यह तंज विपक्ष को नागवार गुजरा और सदन के बाहर हंगामा खड़ा कर दिया।
विपक्षी सांसदों का पलटवार
राज्यसभा में आरजेडी के मनोज झा ने कहा कि पीएम मोदी खुद किस हताशा में हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "यदि पीएम यह कह रहे हैं कि विपक्ष हार की हताशा में है, तो वे स्वयं किस हताशा में हैं? क्या चुनाव लड़ने के दौरान कट्टा, भैंस और मुजरा जैसी बातें करना प्रधानमंत्री की गरिमा है?"
केरल की सांसद प्रियंका वाड्रा ने भी पीएम मोदी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जनता के मुद्दे उठाना कोई ड्रामा नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव की स्थिति, SIR और प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। उनका कहना था कि लोकतंत्र की मर्यादा में रहकर जनता के लिए मुद्दे उठाना ड्रामा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है।
कांग्रेस की सांसद और नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि विपक्ष को पीएम मोदी से सीखने की जरूरत नहीं है कि ड्रामा कैसे किया जाता है। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, "कपड़े बदलकर और कैमरे के एंगल बदलकर ड्रामा करना हमें नहीं आता। ऐसा लगता है कि विश्व गुरु अब मानसिक गुरु भी बन गए हैं।"
SIR और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर फोकस
रेणुका चौधरी ने स्पष्ट किया कि विपक्ष संसद में SIR का मुद्दा जरूर उठाएगा। उन्होंने कहा कि वे मजबूत हैं और किसी भी तरह की हताशा में नहीं हैं। सपा सांसद रामगोपाल यादव और अवधेश कुमार ने भी ऐलान किया कि SIR मुद्दे पर चर्चा पूरी होने तक अन्य किसी विषय पर बात नहीं करेंगे। विपक्ष का यह रुख संसद में तीव्र बहस और गंभीर मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।














