
अमेरिकी राजनीति में एक बार फिर प्रवासी नीति चर्चा के केंद्र में आ गई है। ट्रंप प्रशासन ने नए वीज़ा नियमों की घोषणा की है, जिसे लेकर अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने बेहद सख्त और स्पष्ट बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अब अमेरिका में आने वाले विदेशी कामगार न केवल देश के लिए फायदेमंद होंगे, बल्कि अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों पर किसी तरह का खतरा भी नहीं बनेंगे।
हॉवर्ड लुटनिक ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए डेमोक्रेट्स पर निशाना साधा और कहा कि बीते चार वर्षों में ओपन-बॉर्डर नीति ने अमेरिका को अवैध प्रवासियों से भर दिया। उन्होंने दावा किया कि इन नीतियों के कारण मेहनती अमेरिकियों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है। लुटनिक के अनुसार ट्रंप प्रशासन अब इन सभी कमजोरियों को दूर करते हुए एक ऐसी आव्रजन प्रणाली की ओर बढ़ रहा है, जो अमेरिका की सुरक्षा और समृद्धि को प्राथमिकता देती है।
उन्होंने यह भी कहा कि नए वीज़ा प्रोग्राम से यह सुनिश्चित होगा कि अमेरिका में प्रवेश करने वाले हर विदेशी कर्मचारी की योग्यता और दक्षता प्रमाणित हो। अब कोई भी बिना देश को योगदान दिए सिर्फ फायदे के लिए अमेरिका नहीं आ सकेगा। हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि अब समय आ गया है जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था में काम करने वाला हर व्यक्ति, चाहे वह अमेरिकी हो या विदेशी, देश के विकास में भागीदार बनेगा।
इस नई नीति के तहत एच1बी वीज़ा के शुल्क में भारी इज़ाफा किया गया है। अब एच1बी वीज़ा प्राप्त करने के लिए सालाना शुल्क $1,00,000 यानी लगभग 83 लाख रुपये तक होगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि केवल वही लोग अमेरिका में काम करने आएं जो अत्यधिक कुशल और योग्य हों। इससे उन कंपनियों को भी मजबूती मिलेगी जो वाकई असाधारण प्रतिभाओं को नियुक्त करना चाहती हैं।
व्हाइट हाउस के स्टाफ सचिव विल शार्फ ने भी एच1बी वीज़ा को लेकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम वर्षों से दुरुपयोग का शिकार रहा है। एच1बी वीज़ा के तहत अधिकतर वे लोग अमेरिका आते हैं जो उन क्षेत्रों में काम करते हैं जहां अमेरिकियों की संख्या या रुचि कम है। लेकिन अब इस प्रक्रिया को इतना महंगा और सख्त बना दिया जाएगा कि केवल वही विदेशी अमेरिका आ सकेंगे, जो सही मायनों में किसी अमेरिकी की जगह नहीं ले रहे हों बल्कि ऐसा कौशल लेकर आ रहे हों जो देश को नई ऊंचाइयों तक ले जा सके।
इस कदम का सबसे गहरा असर उन भारतीय पेशेवरों पर पड़ सकता है जो सालों से अमेरिकी टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग सेक्टर में काम कर रहे हैं। H1B वीज़ा का सबसे ज्यादा लाभ उठाने वाले देशों में भारत का नाम सबसे ऊपर है। अब बढ़े हुए शुल्क और सख्त शर्तों के चलते बड़ी संख्या में भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरी पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया के पीछे ट्रंप प्रशासन की सोच साफ है — अमेरिका को पहले रखना, और उस हर नीति को लागू करना जो देश की सीमाओं की रक्षा करे, नागरिकों को प्राथमिकता दे, और विदेशी कामगारों को केवल उसी स्थिति में आने दे जब वे देश के लिए वाकई फायदेमंद साबित हो सकें। ट्रंप की यह रणनीति न केवल आगामी चुनावों में उनके समर्थन को मज़बूती दे सकती है, बल्कि अमेरिका की वीज़ा और इमिग्रेशन नीति को भी पूरी तरह से बदल सकती है।














