
भारतीय वायुसेना का मिग-21, जिसे दशकों से देश की आसमानी सुरक्षा की रीढ़ कहा जाता रहा है, आखिरकार 26 सितंबर 2025 को अपनी ऐतिहासिक सेवा यात्रा समाप्त कर रहा है। यह सिर्फ एक विमान की विदाई नहीं है, बल्कि भारतीय सैन्य इतिहास के एक गौरवपूर्ण अध्याय का समापन भी है, जिसने ना केवल युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाई, बल्कि अगली पीढ़ियों के लिए लड़ाकू उड्डयन की नींव भी रखी।
1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21, भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था। चंडीगढ़ स्थित 28 स्क्वाड्रन, जिसे 'फर्स्ट सुपरसोनिक्स' नाम दिया गया था, इसकी पहली तैनाती का गवाह बना। इसके बाद मिग-21 ने ना केवल भारत की वायु सीमाओं की रक्षा की, बल्कि युद्धों और सैन्य अभियानों में अद्वितीय योगदान देकर खुद को अविश्वसनीय रूप से भरोसेमंद सिद्ध किया।
इस विमान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक 1971 के भारत-पाक युद्ध में दिखाई दी, जब मिग-21 ने ढाका स्थित पाकिस्तान के राज्यपाल के आवास पर हमला किया। यह हमला इतना निर्णायक था कि इसके बाद पाकिस्तान को आत्मसमर्पण करना पड़ा। युद्ध के मैदान में मिग-21 ने एफ-104 जैसे दुश्मन के विमानों को पछाड़ा, वहीं 2019 में एफ-16 के खिलाफ भी इसका प्रदर्शन इतिहास में दर्ज हो गया।
Mig-21- Six decades of service, countless tales of courage, a warhorse that carried pride of a nation into the skies.@DefenceMinIndia@SpokespersonMoD@HQ_IDS_India@adgpi@indiannavy@IndiannavyMedia@CareerinIAF pic.twitter.com/lXv8YlO7PB
— Indian Air Force (@IAF_MCC) September 20, 2025
कारगिल युद्ध में भी मिग-21 की भूमिका अहम रही। इसकी उच्च गति, तीव्र प्रतिक्रिया क्षमता और लक्ष्य पर सटीक हमले की विशेषताएं इसे हर मिशन के लिए पहली पसंद बनाती रहीं। इसके अलावा, इसने भारतीय वायुसेना के कई पायलटों को प्रशिक्षित किया, जिनमें से अधिकांश इसे सबसे चुनौतीपूर्ण लेकिन प्रभावी प्रशिक्षण मंच मानते हैं।
मिग-21 न केवल एक ताकतवर लड़ाकू विमान रहा है, बल्कि इसने भारत के स्वदेशी एयरोस्पेस उद्योग को भी गहराई से प्रभावित किया है। इसके जरिए भारत ने तकनीकी और उत्पादन संबंधी आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाए। इसके विभिन्न वर्जन जैसे मिग-21 एफएल और बाइसन, समय के साथ भारत की तकनीकी क्षमताओं में वृद्धि के प्रतीक बन गए।
अब, जब भारतीय वायुसेना इस विमान को विदाई देने की तैयारी में है, उसकी जगह घरेलू रूप से विकसित तेजस एलसीए (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) को लेने की संभावना जताई जा रही है। यह बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी एक नया युग शुरू होने का संकेत है।
भारतीय वायुसेना ने मिग-21 की सेवा को याद करते हुए सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक वीडियो भी साझा किया, जिसमें इस जेट की गौरवगाथा और युद्ध कौशल को सम्मानपूर्वक प्रदर्शित किया गया है। यह स्पष्ट है कि मिग-21 केवल एक विमान नहीं था, बल्कि वह एक प्रतीक था — भारत की उभरती शक्ति, आत्मनिर्भरता और आकाश में अपराजेय उपस्थिति का।
26 सितंबर को जब मिग-21 अंतिम बार उड़ान भरेगा, तो यह दृश्य केवल टेकऑफ का नहीं होगा, बल्कि छह दशकों की शौर्यगाथा को नमन करने का क्षण भी होगा। यह विदाई है एक ऐसे योद्धा की, जिसने हर बार निडरता से आसमान चीरते हुए राष्ट्र का गौरव बढ़ाया।














