
देश के उपराष्ट्रपति पद पर आसीन जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार को अचानक इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र देते हुए कहा कि वे 'स्वास्थ्य को प्राथमिकता' देना चाहते हैं और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए यह कदम उठा रहे हैं। यह निर्णय उस वक्त आया जब वे 2025 के मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता कर चुके थे। जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे अपने पत्र में उल्लेख किया कि वे संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहे हैं। यह इस्तीफा तब आया जब राज्यसभा में उन्हें कार्य मंत्रणा समिति और अन्य महत्वपूर्ण सत्रों की अध्यक्षता करनी थी। साथ ही, अगले ही दिन यानी 23 जुलाई को उनका जयपुर दौरा भी प्रस्तावित था, जहां उन्हें रामबाग पैलेस में CREDAI की नई कार्यकारिणी से मुलाकात करनी थी। 74 वर्षीय जगदीप धनखड़ अगस्त 2022 में देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने थे। उनका कार्यकाल 2027 तक तय था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते उन्होंने कार्यकाल से पहले ही विदाई ले ली। इससे पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं, जहां उनके कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार से टकराव की खबरें चर्चा में रहीं।
उपराष्ट्रपति को मिलने वाली प्रमुख सुविधाएं:
भारत के उपराष्ट्रपति को संविधान के अनुसार कई विशेषाधिकार मिलते हैं। उन्हें न केवल देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद प्राप्त होता है, बल्कि उन्हें सरकारी आवास, सुरक्षा, यात्रा और चिकित्सा जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं भी दी जाती हैं।
मासिक सैलरी: ₹4 लाख (लगभग)
साप्ताहिक वेतन: ₹92,307
प्रतिदिन की कमाई: ₹18,461
वार्षिक आय: ₹48 लाख के करीब
सुरक्षा: Z कैटेगरी की सिक्योरिटी (अत्यंत उच्चस्तरीय सुरक्षा जिसमें NSG या CISF की तैनाती होती है)
सरकारी आवास: उपराष्ट्रपति को लुटियंस दिल्ली में शानदार सरकारी बंगला मिलता है
मेडिकल सुविधा: भारत सरकार की ओर से पूरी तरह निशुल्क
यात्रा सुविधा: सरकारी दौरे के लिए विशेष विमान और हेलिकॉप्टर की सुविधा
अन्य भत्ते: स्टाफ, सचिवीय सहायता, वाहन सुविधा, टेलीफोन, इंटरनेट, आदि।
जगदीप धनखड़ की संपत्ति और नेटवर्थ:
रिपोर्ट्स के मुताबिक, धनखड़ के पास लगभग ₹4.5 करोड़ की चल संपत्ति है, जिसमें बैंक बैलेंस, निवेश और व्यक्तिगत वाहन शामिल हैं। इसके अलावा, उनके पास ₹3.3 करोड़ की अचल संपत्ति है जिसमें भूमि और रियल एस्टेट शामिल हैं। कुल मिलाकर, उनकी कुल संपत्ति ₹7.8 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। उपराष्ट्रपति का पद न केवल राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करता है, बल्कि यह भारत की संवैधानिक व्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ भी है। ऐसे में जगदीप धनखड़ का इस्तीफा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाक्रम माना जा रहा है, जो स्वास्थ्य के नाम पर लिया गया भले हो, लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थों पर भी मंथन शुरू हो गया है। कुछ जानकारों का मानना है कि धनखड़ भविष्य में किसी और भूमिका के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं। वहीं, राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा के आगामी रणनीति का हिस्सा भी मान रहे हैं।














