
सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे एक वीडियो को लेकर सरकार की तरफ से बड़ा स्पष्टीकरण आया है। वीडियो में दावा किया गया था कि लद्दाख के डीजीपी एस.डी. सिंह जम्वाल ने कथित तौर पर कहा कि पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को बिना किसी सबूत और सीधे रक्षा मंत्री के निर्देश पर गिरफ्तार किया गया। लेकिन भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इस वीडियो को ‘Deepfake’ करार देते हुए इसे झूठा और भ्रामक बताया है।
PIB की फैक्ट चेक यूनिट ने इस वीडियो पर “Deepfake Alert” की चेतावनी के साथ कहा है, “डीजीपी लद्दाख डॉ. एस.डी. सिंह का एक डिजिटल रूप से बदला गया वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें वह दावा करते दिख रहे हैं कि सोनम वांगचुक को बिना सबूत के रक्षा मंत्री के कहने पर गिरफ्तार किया गया है। यह दावा पूरी तरह से झूठा है। डीजीपी ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।”
सरकार ने इस ग़लत जानकारी का खंडन करते हुए असंपादित और असली वीडियो का YouTube लिंक भी साझा किया है, ताकि लोग खुद तथ्य देख सकें। PIB ने जनता को आगाह करते हुए कहा, “इस तरह के AI-जनित वीडियो का उद्देश्य केवल भ्रम और घबराहट फैलाना है। कृपया सतर्क रहें, किसी भी वीडियो या सूचना को साझा करने से पहले उसकी सत्यता जांचें। ऐसी भ्रामक सामग्री को factcheck@pib.gov.in पर रिपोर्ट करें।”
गौरतलब है कि सोनम वांगचुक को 27 सितंबर को लेह में हुई हिंसक झड़पों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था। वर्तमान में वे राजस्थान के जोधपुर जेल में बंद हैं, जहां NSA के तहत बिना मुकदमे के 12 महीने तक की हिरासत संभव है।
लद्दाख पुलिस प्रमुख एस.डी. सिंह जम्वाल ने अपनी प्रेस वार्ता में कहा था कि वांगचुक की हालिया भाषणों में नेपाल और बांग्लादेश में हुई जन-जागरूकता आंदोलनों का उल्लेख “उत्तेजक” था और उनकी कुछ गतिविधियों की पाकिस्तान से “संभावित कड़ियों” की भी जांच की जा रही है।
वहीं वांगचुक की पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता गीतांजलि अंगमो ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वांगचुक को तुरंत रिहा किया जाए और लद्दाख के लोगों की लोकतांत्रिक मांगों पर गंभीरता से विचार हो।
इस मामले के बाद लद्दाख में राजनीतिक माहौल गर्म है। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) ने सरकार द्वारा उसे ‘राष्ट्रविरोधी’ बताने पर नाराज़गी जताई है और कहा है कि जब तक इस तरह की मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक राज्य की मांगों पर कोई सार्थक बातचीत संभव नहीं है।
हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन साथ ही भ्रामक और फर्जी जानकारी फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।














