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दिल्ली–NCR में सांसों पर संकट कायम! आठ साल का न्यूनतम औसत AQI, फिर भी प्रदूषण का खतरा क्यों जस का तस?

दिल्ली–NCR में प्रदूषण का स्तर लगातार गंभीर बना हुआ है। जहां दिल्ली का AQI 370 दर्ज हुआ, वहीं नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में हवा और भी जहरीली पाई गई। आठ साल का न्यूनतम औसत AQI दर्ज होने के बावजूद सर्दियों में स्मॉग और बढ़ते प्रदूषण का खतरा बरकरार है। जानें क्यों अभी भी स्थिति गंभीर है और विशेषज्ञ क्या चेतावनी दे रहे हैं।

Posts by : Kratika Maheshwari | Updated on: Mon, 01 Dec 2025 08:09:42

दिल्ली–NCR में सांसों पर संकट कायम! आठ साल का न्यूनतम औसत AQI, फिर भी प्रदूषण का खतरा क्यों जस का तस?

दिसंबर की दस्तक के साथ ठंड तो बढ़ी है, लेकिन राजधानी की हवा अभी भी राहत देने की बजाय और ज्यादा घातक बनी हुई है। प्रदूषण का स्तर इतना ऊंचा है कि आम लोगों के लिए सुबह की वॉक या बाहरी गतिविधियां तक जोखिम भरी साबित हो रही हैं। सोमवार (1 दिसंबर) सुबह जारी रिपोर्ट में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 370 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।

दिल्ली के आसपास बसे एनसीआर के शहरों का हाल इससे भी बदतर है। नोएडा में AQI 397 तक पहुंच गया, गाजियाबाद 395 पर रहा और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता 407 के बेहद चिंताजनक स्तर पर दर्ज की गई। उत्तरी भारत के अन्य शहर भी धुंध और प्रदूषण की चपेट में हैं। लखनऊ का AQI 346 रहा, जबकि देहरादून का AQI 165 ‘मध्यम’ श्रेणी में रहा।

औसत वायु गुणवत्ता 8 साल में सबसे बेहतर—फिर भी खतरा क्यों बरकरार?

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की रिपोर्ट राजधानी के लिए एक राहत भरी तस्वीर पेश करती है। जनवरी से नवंबर 2025 के बीच दिल्ली का औसत AQI बीते आठ वर्षों में सबसे कम दर्ज हुआ है—यदि 2020 के लॉकडाउन काल को छोड़ दिया जाए। एएनआई के अनुसार, इस अवधि में औसत AQI 187 रहा। साथ ही ‘गंभीर’ श्रेणी वाले दिनों की संख्या कम हुई और PM2.5 व PM10 जैसे प्रदूषकों के स्तर में स्पष्ट गिरावट दर्ज की गई।

यह आंकड़े संकेत देते हैं कि लंबे समय से प्रदूषण के संकट से जूझ रही राजधानी में कुछ संरचनात्मक सुधार दिखाई दे रहे हैं। हालांकि मौजूदा हवा की जहरीली स्थिति बताती है कि दीर्घकालिक समाधान अभी भी दूर है।

मौसमी रुझान बेहतर, ‘गंभीर’ श्रेणी वाले दिन कम हुए

पिछले कुछ वर्षों की तुलना में दिल्ली का AQI स्तर लगातार सुधार की ओर बढ़ रहा है। 2025 में औसत AQI 187 रहा, जबकि 2024 में यह 201, 2023 में 190, 2022 में 199, 2021 में 197, 2019 में 203 और 2018 में 213 दर्ज हुआ था।

इस वर्ष अब तक केवल 3 दिन AQI 400 पार गया—जबकि 2024 में ऐसे 11 दिन और 2023 में 12 दिन दर्ज हुए थे। विशेष बात यह रही कि इस साल एक भी दिन AQI ‘Severe+’ (450 से ऊपर) श्रेणी में नहीं पहुंचा, जो सर्दियों में दिल्ली के लिए एक दुर्लभ घटना मानी जाती है।

तेज हवाओं से मिली थोड़ी राहत, पर ठंड के साथ लौट सकता है स्मॉग

पिछले हफ्ते चली तेज उत्तर-पश्चिमी हवाओं ने लगातार 24 दिनों तक जारी 300+ AQI के सिलसिले को तोड़ दिया। 29 नवंबर को AQI गिरकर 279 आ गया। वहीं न्यूनतम तापमान 8.3°C तक पहुंचने से हवा की गति में बढ़ोतरी हुई, जिसने प्रदूषण को फैलाने में मदद की।

मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले तीन दिनों तक मध्यम हवाएं चलती रहेंगी, लेकिन प्रदूषण के स्रोत सक्रिय रहे तो AQI फिर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच सकता है। तापमान के और गिरने तथा हवा की गति धीमी होने से स्मॉग की वापसी की आशंका बनी हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सुधार केवल कुछ दिनों की राहत है, असली चुनौतियां गहरी सर्दी आने पर दिखेंगी।

नीतिगत बदलाव, राजनीतिक आरोप—और आगे की बड़ी चुनौती

प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए CAQM ने GRAP में महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए Stage-IV के प्रतिबंधों को Stage-III में मिला दिया है। इससे राज्य सरकार प्रदूषण के बढ़ते संकेत मिलते ही तुरंत वर्क-फ्रॉम-होम लागू कर सकती है और निर्माण संबंधी गतिविधियों पर रोक लगा सकती है।

इसी बीच राजनीतिक आरोप भी तेज हो गए हैं। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि “असल प्रदूषण स्तर 500–700 के बीच था, लेकिन इसे 300–400 दिखाया गया ताकि सख्त प्रतिबंध लागू न करने पड़ें।”

सरकार, आयोग और राजनीतिक दलों के बीच यह खींचतान दिखाती है कि प्रदूषण न केवल पर्यावरणीय संकट है, बल्कि एक बड़ा नीतिगत और प्रशासनिक चुनौती भी बन चुका है।

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