
दिल्ली हाई कोर्ट को शुक्रवार सुबह एक धमकी भरा ई-मेल मिलते ही हाई कोर्ट परिसर में हड़कंप मच गया। मेल में साफ लिखा था कि “पवित्र शुक्रवार विस्फोटों के लिए पाकिस्तान-तमिलनाडु की मिलीभगत” है और दोपहर 2 बजे के बाद कोर्ट को बम से उड़ाने की चेतावनी दी गई — जिसके बाद प्रशासन ने तुरंत एहतियाती कदम उठा दिए और अदालतों को खाली करवा दिया गया।
हाई कोर्ट के महापंजीयक अरुण भारद्वाज को यह ई-मेल सुबह 10:41 बजे प्राप्त हुआ। सूचना मिलते ही कई जजों के दफ्तरों के स्टाफ ने वकीलों को बताया कि उस दिन जज अदालतों में नहीं बैठेंगे और तमाम मामलों की नई तारीखें दे दी गईं। धमकी के बाद कोर्ट परिसर में तुरंत बम निरोधक दस्ते और सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए।
सूचना मिलने के बाद कोर्ट प्रशासन और पुलिस ने मिलकर घटनास्थल पर तत्काल सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी। साइबर सेल और अन्य जांच एजेंसियाँ यह पता लगा रही हैं कि यह ई-मेल किस स्थान से भेजा गया और इसके पीछे कौन-से लोग या संगठन हैं। मेल की गंभीरता को देखते हुए हर एंगल से सत्यापन किया जा रहा है।
ई-मेल में एक मोबाइल नंबर और कथित आईईडी (IED) से जुड़ी जानकारी का भी जिक्र था। धमकी में यह दावा भी किया गया था कि किसी व्यक्ति ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क कर पटना-1998 जैसी साजिश रची है। मेल में राजनीतिक नेताओं, आरएसएस और तमिलनाडु से जुड़ी आपत्तिजनक बातें भी लिखी गईं। साथ ही मेल में एक व्यक्ति का नाम — सत्यभामा सेंगोट्टायन — और कुछ अन्य नामों का उल्लेख किया गया है।
धमकी भरे ई-मेल में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी किए गए हैं। इसमें लिखा गया था कि कुछ धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ वंशवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर आरएसएस के खिलाफ लड़ने की स्थिर नीतियाँ नहीं अपना रहीं। साथ ही मेल में कुछ विवादित सिफारिशें और काल्पनिक घटनाक्रमों का जिक्र भी था — जिनमें तमिलनाडु से जुड़े कुछ नेताओं के नामों का उल्लेख कर सनसनीखेज दावे किए गए थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार अब प्राथमिक तह पर सुरक्षा-पाऱीक्षकों और साइबर सेल की टीम मेल की ट्रेसिंग, आईपी-लॉग की पड़ताल और बताए गए मोबाइल नंबर की विवेचना कर रही है। कोर्ट परिसर के बाहर और आसपास सुरक्षा कड़ी रखी गई है ताकि किसी भी प्रकार की शंका पर तत्काल कार्रवाई की जा सके। अधिकारी यह भी बता रहे हैं कि फिलहाल कोई वास्तविक विस्फोट नहीं हुआ और जांच के नतीजों के बाद आगे के कदम तय किए जाएंगे।
हेराफेरी और धमकी जैसे मामलों में सुरक्षा एजेंसियाँ हमेशा सतर्क रहती हैं; ऐसे में हाई कोर्ट को मिली यह धमकी भी उच्च स्तर पर गंभीरता से ली जा रही है और सभी संबंधित पक्ष मिलकर घटना की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। अदालतों के कामकाज और सुनवाई जल्द बहाल करने के लिए प्रशासन हालात को देखते हुए अगली घोषणाएँ कर सकता है।














