
लद्दाख के लेह में हाल ही में भड़की हिंसा के बाद प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। गौरतलब है कि गुरुवार को उनके NGO — Students' Educational and Cultural Movement of Ladakh (SECMOL) — का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।
सरकार ने सुरक्षा के मद्देनज़र लेह जिले में सभी सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों और आंगनवाड़ी केंद्रों को दो दिन के लिए बंद रखने का आदेश जारी किया है।
इस बीच, वांगचुक ने अपनी दो हफ्ते से चल रही भूख हड़ताल को समाप्त कर दिया है। उन्होंने लेह में हुई हिंसा को "लद्दाख के इतिहास का सबसे दुखद दिन" करार दिया और कहा कि पिछले पांच वर्षों से आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है, लेकिन इस घटना ने उस छवि को धक्का पहुंचाया है।
हिंसा उस वक्त भड़की जब Leh Apex Body (LAB) की ओर से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक संरक्षण देने की मांग को लेकर बंद का आह्वान किया गया। बंद के दौरान प्रदर्शन अचानक उग्र हो गया, जिसमें पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।
प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, इस हिंसा में अब तक 90 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हालात बिगड़ने के बाद पुलिस ने लगभग 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और लेह शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
घटना के बाद केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन पर स्थानीय लोगों में रोष है, जबकि दूसरी ओर सरकार इसे “कानून व्यवस्था से समझौता” मान रही है।
सोनम वांगचुक, जो कि ग्लेशियर संरक्षण और शिक्षा सुधार के अपने नवाचारों के लिए जाने जाते हैं, बीते कई महीनों से लद्दाख को संवैधानिक दर्जा दिलाने की मांग को लेकर सक्रिय थे। उनके NGO का एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया जाना और फिर गिरफ्तारी, सरकार की ओर से एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में लद्दाख में आंदोलन किस दिशा में जाता है और सरकार का रुख कितना नरम या कठोर रहता है।














