
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल मामले के प्रमुख आरोपी मुजम्मिल गनी ने NIA की पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उसके मुताबिक, देश के अलग-अलग बड़े शहरों में एक साथ धमाके करने की तैयारी लंबे समय से चल रही थी और इसके लिए पांच डॉक्टरों ने मिलकर 26 लाख रुपये की धनराशि इकट्ठी की थी। दो साल तक इस नेटवर्क ने विस्फोटक सामग्री, रसायन और रिमोट-ट्रिगर डिवाइस जुटाने का काम बेहद संगठित तरीके से किया।
अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ के दौरान गनी ने स्वीकार किया कि उसने खुद 5 लाख रुपये इस फंड में दिए थे। वहीं आदिल अहमद राथर ने 8 लाख और उसके भाई मुजफ्फर अहमद राथर ने 6 लाख रुपये का योगदान किया। शाहीन शाहिद ने 5 लाख और डॉ. उमर उन-नबी मोहम्मद ने 2 लाख रुपये जमा किए। पूरा पैसा उमर को सौंपा गया, जिससे जांच एजेंसी को साफ संकेत मिलते हैं कि हमले के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी उसी के पास थी।
फर्टिलाइज़र से विस्फोटक तक—कैसे चल रही थी तैयारी
गनी ने यह भी बताया कि उसने गुरुग्राम और नूह से करीब 3 लाख रुपये में 26 क्विंटल NPK फर्टिलाइज़र खरीदा था। एक NIA अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि गनी पर रसायन और फर्टिलाइज़र खरीदने की जिम्मेदारी थी और यह पूरा ऑपरेशन अचानक नहीं, बल्कि सुविचारित योजना के तहत चलाया जा रहा था।
ये सामग्री बाद में डॉ. उमर उन-नबी की देखरेख में विस्फोटक में बदली गई। वही रिमोट डेटोनेटर, सर्किट और तकनीकी उपकरणों की व्यवस्था कर रहा था। जांच में पता चला है कि इस दौरान अमोनियम नाइट्रेट और यूरिया भी बड़ी मात्रा में इकट्ठा किया गया। कुल मिलाकर पूरी टीम के बीच जिम्मेदारियां साफ-साफ बांटी गई थीं और तकनीकी पहलू उमर संभाल रहा था।
कहां तक पहुंची जांच—कौन है गिरफ्तार, कौन है फरार?
रिपोर्ट के अनुसार, अब तक तीन डॉक्टर—मुजम्मिल गनी, शाहीन शाहिद और आदिल राथर—की गिरफ्तारी हो चुकी है। आदिल का भाई मुजफ्फर राथर अभी भी फरार है और उसके अफगानिस्तान में छिपे होने की जानकारी सामने आई है।
अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में उमर, गनी और शाहिद के साथ काम करने वाला निसार उल-हसन भी एजेंसियों की रडार पर है और उसकी तलाश जारी है। जांचकर्ताओं का दावा है कि 10 नवंबर को लाल किले के बाहर ह्युंडई i20 में रखे विस्फोटक को उमर ने ही रिमोट से ब्लास्ट किया था।
सिर्फ एक ब्लास्ट नहीं—कई धमाकों की थी योजना
एक NIA अधिकारी ने बताया कि आरोपी की स्वीकारोक्तियों ने उन कई बिखरे हुए सुरागों को जोड़ने में मदद की, जिन्हें अब तक अलग-अलग करके देखा जा रहा था। उनका कहना है कि जब्त किए गए विस्फोटक और रसायनों की मात्रा यह साफ दर्शाती है कि योजना केवल एक धमाके की नहीं, बल्कि कई शहरों में श्रृंखलाबद्ध हमलों की थी। इतनी बड़ी मात्रा में सामग्री एकल हमले के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकती।
हालांकि, कानूनी तौर पर किसी आरोपी की स्वीकारोक्ति तभी मान्य मानी जाती है, जब वह कोर्ट या मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज की जाए। इसी बीच, जांच एजेंसी अब उन सप्लायरों की पहचान करने पर ध्यान दे रही है, जिनसे यह सामग्री खरीदी गई थी। साथ ही यह पता लगाया जा रहा है कि क्या आरोपियों ने अपनी मेडिकल पहचान और प्रोफेशनल प्रतिष्ठा का उपयोग छिपाव और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए किया।














