
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में इस साल स्वतंत्रता दिवस का जश्न बेहद खास रहा। बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिलों के 29 गांवों ने इस बार पहली बार भारत के तिरंगे को सलामी दी। यह गौरवशाली पल इसलिए और भी महत्वपूर्ण था क्योंकि इन इलाकों में लंबे समय तक नक्सलियों का दबदबा रहा, जिसके चलते यहां कभी स्वतंत्रता दिवस का जश्न नहीं मनाया जा सका।
नक्सलवाद के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई और लोकतंत्र की वापसी
पिछले कुछ वर्षों में पुलिस, डीआरजी और सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई के चलते इन क्षेत्रों में नक्सलवाद लगभग समाप्त हो गया है। सुरक्षा कैंपों की स्थापना और स्थानीय लोगों के सहयोग से अब लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हुई हैं। नारायणपुर के 11, बीजापुर के 11 और सुकमा के 7 गांव अब पूरी तरह नक्सल मुक्त हैं और यहाँ पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया।
बस्तर में तिरंगा फहराने का गर्व
कोंडापल्ली और जिडपल्ली जैसे नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में भी इस बार तिरंगा फहराया गया। स्थानीय लोग इसे 79 साल में मिली “सच्ची आजादी” मान रहे हैं। जगदलपुर में केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू ने परेड की सलामी ली, जबकि दंतेवाड़ा में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने ध्वजारोहण किया। बसवा राजू के एनकाउंटर के बाद नक्सली बैकफुट पर हैं और बस्तर में लोकतंत्र का परचम बुलंद हो रहा है।
पहली बार स्वतंत्रता का जश्न मनाने वाले गांव
नारायणपुर जिले के जिन गांवों में पहली बार स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया गया, उनमें होरादी, गारपा, कच्चापाल, कोडलियार, कुतुल, बेड़माकोटी, पदमकोट, कंदुलनार, नेलांगुर, रायनार और पांगुर शामिल हैं। बीजापुर जिले के कोण्डापल्ली, जिडपल्ली, जिडपल्ली-2, वाटेवागु, कर्रेगुट्टा, पीड़िया, गूंजेपरति, पुजारी कांकेर, भीमाराम, कोरचोली और कोटपल्ली गांवों ने भी यह ऐतिहासिक पल देखा। इसके अलावा, सुकमा जिले के रायगुड़ेम, गोल्लागुंडा, तुमालपाड़, उसकवाया, गोमगुड़ा, मेटागुड़ा और नुलकातोंग गांवों में भी पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया।
इस तरह बस्तर संभाग के 29 गांवों ने स्वतंत्रता के प्रतीक तिरंगे को फहराकर इतिहास रच दिया और यह संदेश दिया कि लोकतंत्र और आजादी की लौ अब इन क्षेत्रों में मजबूत रूप से जल रही है।














