
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के लालखदान क्षेत्र में मंगलवार शाम लगभग 4 बजे एक भयावह रेल दुर्घटना हुई जिसने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। गेवरारोड से आ रही मेमू लोकल ट्रेन ने उसी ट्रैक पर खड़ी एक मालगाड़ी को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि मेमू ट्रेन का इंजन भाग मालगाड़ी के गार्ड केबिन के ऊपर चढ़ गया। इस हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि 25 से अधिक यात्री घायल हुए हैं।
तत्काल राहत और बचाव अभियान शुरू
घटना की सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन, जिला प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंच गईं। जीएम, डीआरएम, कमिश्नर और एसपी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। राहत एवं बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया, और घायल यात्रियों को सिम्स अस्पताल, रेलवे अस्पताल और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। कई घायलों की हालत नाजुक बताई जा रही है।
कैसे हुआ हादसा — क्या लोको पायलट ने की गलती?
प्रारंभिक जांच में संभावना जताई जा रही है कि यह हादसा ओवरस्पीड या संचार की कमी के कारण हुआ। रेलवे की ओर से लागू की गई ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली में ट्रेनें एक निश्चित गति सीमा में चलनी चाहिए। इस सिस्टम के तहत एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें चलाई जा सकती हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि मेमू ट्रेन निर्धारित सीमा से ज्यादा तेज गति में चल रही थी। अचानक सामने खड़ी मालगाड़ी दिखने पर लोको पायलट ट्रेन को रोक नहीं पाया और यह टक्कर हो गई।
रेल नियमों के मुताबिक इस मार्ग पर दिन में अधिकतम 15 किमी/घंटा और रात में 10 किमी/घंटा की रफ्तार की अनुमति है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि चालक ने इस गति सीमा का पालन नहीं किया।
रेल ट्रैक बंद, ट्रेनों का संचालन प्रभावित
हादसे के बाद अप लाइन पर ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह रोक दी गई। रेलवे ने एहतियातन मिडिल, अप और चौथी लाइन भी बंद कर दी थी। करीब तीन घंटे के बाद डाउन लाइन को फिर से चालू किया गया, जिससे गोंडवाना एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों को नियंत्रित ढंग से रवाना किया गया।
बचाव कार्य में आई अड़चनें
हालांकि राहत कार्य तुरंत शुरू किया गया, लेकिन अंधेरा होने और बिजली की व्यवस्था में देरी से रेस्क्यू ऑपरेशन को बाधा झेलनी पड़ी। स्थानीय लोगों और बचावकर्मियों की मदद से ट्रेन की बोगियों को गैस कटर से काटकर यात्रियों को निकाला गया। कुछ देर बाद अतिरिक्त रोशनी और रिलीफ ट्रेन के पहुंचने पर अभियान दोबारा तेज हुआ।
मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा
रेलवे ने इस दर्दनाक दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए 5 लाख रुपये, और सामान्य रूप से घायल यात्रियों के लिए 1 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
यात्रियों के परिजनों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने हादसे के बाद यात्रियों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए कई हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं ताकि वे अपने प्रियजनों की जानकारी तुरंत प्राप्त कर सकें:
बिलासपुर: 7777857335, 7869953330
चांपा: 8085956528
रायगढ़: 9752485600
पेंड्रा रोड: 8294730162
कोरबा: 7869953330
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सभी हेल्पलाइन नंबर 24 घंटे सक्रिय रहेंगे, और यात्रियों से अपील की गई है कि वे अफवाहों पर विश्वास न करें और जानकारी केवल आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त करें।
जांच जारी, जिम्मेदारी तय होगी
रेलवे ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। फिलहाल माना जा रहा है कि हादसे के पीछे मानवीय त्रुटि या सिग्नलिंग सिस्टम की गड़बड़ी मुख्य वजह हो सकती है। जांच रिपोर्ट के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि आखिर यह भीषण दुर्घटना किन कारणों से हुई और किसकी लापरवाही इसमें जिम्मेदार थी।
बिलासपुर रेल हादसा एक बार फिर रेलवे सुरक्षा और संचालन प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह ज़रूरी है कि इस त्रासदी से सबक लेकर भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।














