
बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सियासी पारा तेजी से चढ़ गया है। इस बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने अपने तीखे तेवरों के साथ एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि उनकी पार्टी किसी भी गठबंधन की “बी-टीम” नहीं है, बल्कि इस बार वे बिहार की राजनीति की दिशा ही बदलने वाले हैं। प्रशांत किशोर ने कहा – “कुछ लोग हमें वोट कटवा पार्टी कहते हैं, लेकिन इस बार हम इतना वोट काटेंगे कि दोनों गठबंधनों की हालत खराब हो जाएगी।”
“तनाव उसे होता है जिसने पढ़ाई की हो...”
मीडिया से बातचीत में प्रशांत किशोर अपने चिर-परिचित व्यंग्यात्मक अंदाज में नजर आए। उन्होंने कहा, “तनाव उसी को होता है जिसने तीन साल पढ़ाई की हो। जिसने पढ़ाई ही नहीं की, उसे तो पहले से पता होता है कि फेल होना है, इसलिए वह टेंशन नहीं लेता।” उनका यह बयान सीधे तौर पर बिहार के दो बड़े नेताओं — नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव — पर तंज के रूप में देखा जा रहा है।
“अब खत्म हुआ राजनीतिक शोषण का दौर”
प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही बिहार के लोगों का “राजनीतिक शोषण” और “बेगारी” का दौर खत्म हो गया है। उन्होंने दावा किया कि इस बार जनता जात-पात और धर्म से ऊपर उठकर अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर वोट देगी। किशोर के मुताबिक, पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख गठबंधनों को मिलाकर करीब 72 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि 28 प्रतिशत मतदाताओं ने दोनों को नकार दिया था। उन्होंने कहा, “अगर दोनों गठबंधनों का 10-10 प्रतिशत वोट भी घट गया, तो तीसरे विकल्प के लिए रास्ता अपने आप खुल जाएगा।”
“नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे”
जन सुराज प्रमुख ने दावा किया कि इस बार नीतीश कुमार सत्ता में वापसी नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा, “सरकार ने करोड़ों रुपये जनता में बांटे, लेकिन फिर भी लोगों के बीच नीतीश का नाम सुनाई नहीं दे रहा। इसका मतलब साफ है — जनता बदलाव के मूड में है।” पीके के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और अब चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या वाकई बिहार में सत्ता परिवर्तन की आहट सुनाई दे रही है।
“चिराग पासवान धर्म और जाति की राजनीति नहीं करते”
विपक्षी दलों के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “पहले कहा गया कि मैं पैदल चलकर कुछ नहीं कर पाऊंगा, फिर कहा गया कि मेरे साथ कोई नहीं आएगा। अब जब लोग जन सुराज से जुड़ने लगे हैं, तो कहा जा रहा है कि यह पार्टी टिकेगी नहीं।” उन्होंने आगे चिराग पासवान की तारीफ करते हुए कहा कि वे जाति और धर्म की राजनीति नहीं करते, इसलिए उनका सम्मान करना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि चिराग बिहार की असली राजनीति नहीं करते, इसलिए वे उनके विरोध में हैं।
“बदलाव की दस्तक बिहार में सुनाई दे रही है”
प्रशांत किशोर के इन बयानों ने बिहार की राजनीति में नई ऊर्जा भर दी है। जन सुराज पार्टी अब खुद को तीसरे मजबूत विकल्प के रूप में पेश कर रही है। अब देखना यह होगा कि क्या पीके की यह रणनीति मतदाताओं को प्रभावित कर पाती है या फिर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच पारंपरिक जंग ही दोहराई जाएगी।














