
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली भारी जीत के बाद नई सरकार के गठन की तैयारियां तेज़ हो गई हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कैबिनेट की बैठक बुलाकर वर्तमान मंत्रिमंडल को भंग करने का प्रस्ताव पारित करेंगे और इसके बाद राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसी के साथ अगली सरकार के गठन का दावा भी पेश किया जाएगा।
इस बीच राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि किस सहयोगी दल से कितने चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल होंगे।
एलजेपी (रामविलास) के खाते में संभावित मंत्री पद
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 19 सीटों पर जीत हासिल की है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की नई टीम में एलजेपी (रामविलास) के तीन विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। चर्चा अब इस बात की है कि वे तीन चेहरे कौन हो सकते हैं जिन्हें कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
राजू तिवारी का नाम सबसे ऊपर
एलजेपी (रामविलास) के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, संभावित मंत्रियों की सूची में सबसे पहला नाम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी का माना जा रहा है। राजू तिवारी इस बार गोविंदगंज विधानसभा सीट से विजयी हुए हैं और पार्टी में उनकी पकड़ मजबूत है। दूसरा नाम संजय पासवान का है, जो पार्टी के प्रधान महासचिव हैं और बखरी सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। तीसरे दावेदार महुआ से विधायक चुने गए संजय सिंह बताए जा रहे हैं, जो पार्टी में एक सक्रिय और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं।
छह विधायक—एक मंत्री का फॉर्मूला
नीतीश कुमार की नई टीम में छह विधायकों पर एक मंत्री बनाने का संभावित फार्मूला लागू किया जा सकता है। इस गणना के अनुसार एलजेपी (रामविलास) को तीन मंत्री पद मिलना लगभग तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि बिहार मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत कुल 36 मंत्रियों की जगह होती है। पिछली सरकार में बीजेपी के पास अधिक मंत्रालय थे, लेकिन इस बार एलजेपी रामविलास का विधायी संख्या बल उनके प्रभाव को बढ़ा रहा है।
किसे मिलेगा शपथ का मौका?
हालांकि शपथ ग्रहण समारोह में किन चेहरों को मंत्री पद दिया जाएगा, इसकी अंतिम सूची अभी सामने नहीं आई है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह दावा किया जा रहा है कि एलजेपी (रामविलास) से कम से कम एक-दो सदस्यों को पहले चरण में शपथ दिलाई जा सकती है।
उधर, बीजेपी से दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना भी तेज़ है, जिससे मंत्रिमंडल में सत्ता संतुलन का नया समीकरण बन सकता है।














