भाविनाबेन बनीं चैंपियन: एक साल की उम्र में हुआ था लकवा, आज Tokyo Paralympics में टेबल टेनिस के मुकाबले में सिल्वर जीत रचा इतिहास

By: Priyanka Maheshwari Sun, 29 Aug 2021 10:05:30

भाविनाबेन बनीं चैंपियन: एक साल की उम्र में हुआ था लकवा, आज Tokyo Paralympics में टेबल टेनिस के मुकाबले में सिल्वर जीत रचा इतिहास

टोक्यो पैरालिंपिक में भाविनाबेन पटेल ने 29 अगस्त यानी नेशनल स्पोर्ट्स डे (National Sports Day) पर देश का नाम रोशन किया है। भाविनाबेन पटेल ने टेबल टेनिस के विमेंस सिंगल्स में क्लास-4 कैटेगरी में भारत को पहला मेडल दिलाया है। भाविना का फाइनल में वर्ल्ड नंबर-1 चीनी खिलाड़ी झोउ यिंग से मुकाबला था। यिंग ने भाविना को 11-7, 11-5 और 11-6 से हरा कर गोल्ड जीता। भाविना को सिल्वर मिला। वह टेबल टेनिस में मेडल जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी भी हैं।

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भाविनाबेन तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी, एक साल की उम्र में हुआ लकवा

आपको बता दे, भाविनाबेन पटेल जब एक साल की उम्र की थीं, तो चलने की कोशिश में गिर गईं, उस समय उनके एक पैर में लकवा हो गया, बाद में उनका दूसरा पैर भी लकवे से बेकार हो गया। भाविनाबेन पटेल गुजरात के वडनगर के सुंडिया गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता हंसमुख भाई पटेल गांव में ही छोटी सी दुकान चलाते हैं। भाविनाबेन तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। भाविनाबेन पटेल का एक भाई और एक बहन है, दोनों स्वस्थ हैं। भाविनाबेन जब एक साल की थीं, तो चलने के प्रयास में गिर गईं और उन्हें एक पैर में लकवा हुआ। बाद में दोनों पैर में लकवा हो गया। ऑपरेशन होने के बाद उसने बैसाखी के सहारे चलना शुरू किया।

पिता हंसमुख भाई बताते हैं कि भाविनाबेन संस्कृत में ग्रेजुएट हैं। जब वे दिव्यांगों के स्कूल में कंप्यूटर सीखने जाने लगीं, उसी दौरान गुजरात पैरा टेबल टेनिस के कोच की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने ही भाविनाबेन को टेबल टेनिस खेलने के लिए प्रेरित किया। एक बार व्हीलचेयर टेबल टेनिस प्रतियोगिता में जीतने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब तक टेबल टेनिस की वजह से वे 27 देशों का दौरा कर चुकी हैं। वे कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश के लिए मेडल जीत चुकी हैं।

ससुराल वालों का मिला पूरा साथ

पिता हंसमुख भाई ने बताया कि तीन साल पहले भाविनाबेन की शादी हुई थी। शादी के बाद पति का पूरा साथ उन्हें मिला। पति और ससुराल वालों के सपोर्ट मिलने की वजह से ही वे शादी के बाद भी खेल जारी रख सकीं। यही नहीं शादी के बाद उनके पति हर प्रतियोगिता में साथ जाते हैं, ताकि भाविनाबेन को किसी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। टोक्यो में भी वे साथ हैं।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने भाविना पटेल को दी बधाई

टोक्यो पैरालिंपिक्स में भाविना पटेल की इस कामयाबी पर पूरे देश को नाज है। भारत के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक ने भाविना के किए कमाल की सराहना की है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों ने ही टोक्यो पैरालिंपिक्स में भाविना के सिल्वर मेडल जीत की वाहवाही की है। राष्ट्रपति ने इस उपलब्धि को काबिलेतारीफ बताया तो PM मोदी ने इसे देश के युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा देने वाली जीत बताई है।

क्या होती है क्लास-4 कैटेगरी?

क्लास-4 कैटेगरी के एथलीट का बैठने का संतुलन बरकरार रहता है और उसके दोनों हाथ ठीक होते हैं। उनकी दिव्यांगता लोअर स्पाइन की समस्या के कारण हो सकती है या वे सेरिब्रल पाल्सी का शिकार होते हैं।

पैरा टेबल टेनिस के क्लास 1 से 5 तक के एथलीट व्हीलचेयर पर खेलते हैं। क्लास 6 से 10 तक के एथलीट खड़े होकर खेल सकते हैं। वहीं, क्लास-11 के एथलीटों में मानसिक समस्या होती है। व्हील चेयर स्टैंडिंग पॉजिशन में क्लास की संख्या जितनी कम होती है उनकी शारीरिक क्षमता उतनी ज्यादा प्रभावित होती है। यानी क्लास-1 के एथलीट की शारीरिक क्षमता सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।

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