
भारतीय तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज ने अब क्रिकेट के मैदान से बाहर भी एक नई शुरुआत की है। इंग्लैंड दौरे पर व्यस्त होने के बावजूद, उन्होंने अपने गृहनगर हैदराबाद में एक शानदार रेस्टोरेंट जोहारफा लॉन्च किया है। खास बात यह है कि यह पहल क्रिकेटर विराट कोहली के रेस्टोरेंट बिजनेस की राह पर ही एक कदम मानी जा रही है।
जोहारफा: खाना नहीं, एक अनुभव
सिराज के इस रेस्टोरेंट में मुगलई, पारसी, अरबी और चीनी व्यंजन परोसे जाएंगे। यह सिर्फ खाने की जगह नहीं, बल्कि हैदराबादी स्वाद और परंपरा का संगम होगा। प्रेस विज्ञप्ति में सिराज ने कहा, “जोहारफा मेरे दिल के बेहद करीब है। हैदराबाद ने मुझे पहचान दी, और यह मेरा तरीका है कुछ लौटाने का। यहां लोगों को घर जैसा खाना मिलेगा।”
रेस्टोरेंट की विशेषता इसकी अनुभवी शेफ टीम है, जो पारंपरिक पाक कला को आधुनिक स्वाद के साथ जोड़ती है। सिराज ने यह भी स्पष्ट किया कि जोहारफा उच्च गुणवत्ता की ताज़ी सामग्री और प्रामाणिक रेसिपीज़ पर केंद्रित रहेगा।
संघर्षों से सफलता तक का सफर
सिराज की इस पहल की खास बात यह है कि यह उनके संघर्षों की कहानी को भी दर्शाती है। कभी ऑटो रिक्शा चलाने वाले पिता और घरों में काम करने वाली मां के बेटे रहे सिराज ने 2017 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया और आज एक सफल गेंदबाज़ के साथ-साथ एक रेस्टोरेंट मालिक भी हैं। यह उनके मेहनत और संकल्प की मिसाल है।
इंग्लैंड में भी जारी है सिराज का जलवा
जहां एक ओर हैदराबाद में उनके रेस्टोरेंट की चर्चा है, वहीं दूसरी ओर इंग्लैंड दौरे पर सिराज भारत के लिए टेस्ट सीरीज़ में अहम भूमिका निभा रहे हैं। लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट में उन्होंने दो विकेट चटकाए। अब बर्मिंघम के एजबेस्टन में दूसरा टेस्ट 2 जुलाई से शुरू होना है, जहां सिराज पहले भी चार विकेट ले चुके हैं।
भारत का एजबेस्टन रिकॉर्ड कमजोर, लेकिन सिराज से उम्मीदें
एजबेस्टन मैदान पर भारत का रिकॉर्ड अब तक निराशाजनक रहा है। टीम ने यहां आठ टेस्ट खेले हैं, जिनमें सात में हार और एक ड्रॉ रहा है। ऐसे में सिराज जैसे फॉर्म में चल रहे गेंदबाज़ से इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।
मोहम्मद सिराज का ‘जोहारफा’ सिर्फ एक रेस्टोरेंट नहीं, बल्कि उनके जीवन के संघर्षों, भावनाओं और जिम्मेदारी का प्रतीक है। क्रिकेट में अपनी काबिलियत साबित करने के बाद अब वे समाज को कुछ लौटाने की दिशा में भी एक सकारात्मक पहल कर चुके हैं। यह कहानी एक क्रिकेटर से प्रेरणा लेने वालों के लिए मिसाल है — कि सपनों की उड़ान केवल मैदान तक सीमित नहीं होती।














