
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी को कानूनी मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने उन्हें आदेश दिया है कि वह अपनी पत्नी हसीन जहां और बेटी आयरा को हर महीने चार लाख रुपये मेंटीनेंस के तौर पर दें। यह फैसला 1 जुलाई 2025 को सुनाया गया और यह सात महीने पहले से प्रभावी माना जाएगा, यानी शमी को बकाया रकम भी चुकानी होगी।
हाईकोर्ट ने यह निर्णय हसीन जहां की उस याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया, जिसमें उन्होंने जिला अदालत के पुराने आदेश को चुनौती दी थी। पहले के आदेश में शमी को पत्नी को ₹50,000 और बेटी को ₹80,000 मासिक देने का निर्देश दिया गया था, लेकिन हसीन जहां ने इसे नाकाफी बताते हुए हाईकोर्ट से अपने लिए ₹7 लाख और बेटी के लिए ₹3 लाख मासिक भत्ते की मांग की थी।
शमी ऐसा करने के लिए स्वतंत्र
जज अजय कुमार मुखर्जी की बेंच ने हसीन जहां की याचिका पर आदेश पारित करते हुए भारतीय क्रिकेटर को हर माह खर्चा देने का निर्देश दिया। जज ने मंगलवार (1 जुलाई) को अपने आदेश में कहा, ''मेरे विचार से याचिकाकर्ता नंबर 1 (पत्नी) को 1.5 लाख रुपये प्रति माह और उनकी बेटी को 2.5 लाख रुपये प्रति माह देना दोनों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उचित होगा।'' अदालत ने यह भी कहा कि शमी अपनी बेटी के लिए निर्धारित राशि से अधिक शिक्षा या अन्य खर्चों के लिए स्वेच्छा से योगदान देने के लिए स्वतंत्र हैं।
शमी ने 2014 में रचाई थी शादी
हसीन जहां ने जिला सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें शमी को 2023 में अपनी पत्नी को 50 हजार रुपये और बेटी को 80 हजार रुपये देने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने अदालत से अपने लिए 7 लाख रुपये और अपनी बेटी के लिए 3 लाख रुपये प्रति माह का मुआवजा मांगा था। हसीन जहां ने 2014 में शमी से शादी करने से पहले कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के लिए मॉडल और चीयरलीडर के रूप में काम कर चुकी हैं। बेटी आयरा का जन्म 2015 में हुआ था।
घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न का आरोप
पत्नी ने 2018 में शमी पर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था। तभी से मामला अदालत में चल रहा है। दोनों अभी तक कानूनी रूप से दोनों अलग नहीं हुए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि शमी ने अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए पैसे देना बंद कर दिया था। वह शमी पर मैच फिक्सिंग का इल्जाम भी लगा चुकी हैं। इस आरोप के बाद बीसीसीआई ने तेज गेंदबाज के केंद्रीय अनुबंध पर रोक लगा दी थी। बाद में बोर्ड ने जांच की और शमी को मैच फिक्सिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया।
भावनात्मक और कानूनी असर
इस फैसले से यह स्पष्ट है कि कोर्ट अब पत्नी और बेटी की आर्थिक स्थिति को प्राथमिकता दे रहा है। यह फैसला क्रिकेटर शमी के लिए आर्थिक दबाव बन सकता है, लेकिन कानूनी रूप से यह एक बड़ा संकेत है कि घरेलू विवादों को अदालत अब गंभीरता से ले रही है।
वहीं, हसीन जहां के लिए यह फैसला एक बड़ी राहत की तरह आया है, जो वर्षों से न्याय के लिए प्रयासरत थीं। अदालत का यह निर्णय आने वाले दिनों में शमी और उनके निजी जीवन पर भी असर डाल सकता है, खासकर अगर वह जल्द ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की योजना बना रहे हों।














