राजस्थान क्रिकेट में एक बार फिर विवाद की आंधी उठ गई है। क्रिकेट एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जगदीप बिहाणी के एक विवादित बयान ने रविवार को प्रस्तावित बैठक से पहले हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में एक जाति विशेष हावी होना चाहती है, लेकिन ऐसा नहीं होने देंगे। इस बयान के बाद राज्य क्रिकेट प्रशासन में पहले से चल रही तनातनी और गहराने के आसार हैं।
जगदीप बिहाणी के विवादित बयानों का यह कोई पहला मौका नहीं है। पिछले महीने जयपुर में एक आईपीएल मैच पर उन्होंने फिक्सिंग की आशंका जाहिर कर बीसीसीआई की नाराजगी मोल ले ली थी। इसके अलावा, उन्होंने एडहॉक कमेटी की मीटिंग बुलाए बिना ही अपनी ओर से संचालक समिति भंग करने और तीन आयु वर्ग की चयन समितियों को कार्यमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया था।
कमेटी के चार सदस्य — धनंजय सिंह खींवसर, धर्मवीर सिंह शेखावत, रतन सिंह और हरिचंद सिंह — पहले ही कन्वीनर के इन एकतरफा फैसलों पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं और एक अलग बैठक में इन्हें नियमविरुद्ध बताते हुए खारिज भी कर चुके हैं। ऐसे में जब रविवार को सुबह 11 बजे एडहॉक कमेटी की बैठक बुलाई गई है, तो संभावना है कि बहुमत के बल पर कन्वीनर के फैसलों को औपचारिक रूप से रद्द कर दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, ये चारों सदस्य शनिवार को भी एक अनौपचारिक बैठक कर चुके हैं और रविवार की बैठक में एकमत रहने की तैयारी कर रहे हैं। यदि ये सभी एकजुट रहते हैं, तो बहुमत उनके पक्ष में होगा, जिससे कन्वीनर बिहाणी और उनके करीबी सदस्य पवन गोयल की स्थिति कमजोर हो सकती है।
दूसरी ओर, राज्य की 33 जिला क्रिकेट एसोसिएशन इस पूरे विवाद पर चुप्पी साधे हुए हैं। न तो किसी ने खुलकर पक्ष लिया है, न विरोध किया है। जानकारों का मानना है कि वर्षों से चली आ रही आदत के अनुसार ज़िलाई क्रिकेट निकाय आज एक गुट के साथ और कल दूसरे गुट के समर्थन में खड़े हो जाते हैं।
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का नेतृत्व समय-समय पर ललित मोदी, संदीप दीक्षित, वैभव गहलोत और सीपी जोशी जैसे चेहरे करते रहे, लेकिन असली ताकत ज़िलाई क्रिकेट संगठनों के ही पास रही। इन संगठनों में सिर्फ पदधारियों के नाम बदलते हैं, लेकिन नीति और कार्यशैली वही रहती है — जिसका खामियाजा राज्य के खिलाड़ियों और क्रिकेट के विकास को भुगतना पड़ता है।
राजस्थान क्रिकेट फिलहाल नेतृत्वहीनता, जातिगत राजनीति और आंतरिक टकरावों के दलदल में फंसा हुआ है। रविवार की बैठक में जो फैसला होगा, वह न सिर्फ एडहॉक कमेटी की दिशा तय करेगा, बल्कि राज्य में क्रिकेट के भविष्य पर भी असर डालेगा।