भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत एक बार फिर टेस्ट क्रिकेट में अपनी खास पहचान लेकर लौटे हैं। लीड्स में इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट के पहले दिन, पंत ने नाबाद 65 रनों की पारी खेली, जो सिर्फ स्कोर नहीं, बल्कि समझदारी और संतुलन का प्रतीक बन गई।
इस पारी ने उन सभी आलोचनाओं को शांत कर दिया, जिनमें कभी उन्हें "बिना सोच का खिलाड़ी" कहा गया था। इस बार पंत ने दिखाया कि वह सिर्फ आक्रामक ही नहीं, बल्कि परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालने वाले बल्लेबाज़ भी हैं।
अब वह समझदारी से खेलते हैं – सुनील गावस्कर
पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर, जो पहले पंत की लापरवाह शैली पर सवाल उठा चुके थे, इस पारी को देखकर खुद को प्रशंसा से रोक नहीं पाए।
सोनी स्पोर्ट्स से बातचीत में गावस्कर ने कहा, “ऐसा लगता है कि यही उनका तरीका है – शुरुआत में 2–3 गेंदों में ही पिच का मिजाज भांपकर एक चौका मार देना, जिससे वो खुद को आज़ाद महसूस करते हैं। लेकिन इस बार उन्होंने खुद को वक्त दिया और जैसे ही गेंदबाज़ थकने लगे, उन्होंने गियर बदल दिया।”
संयमित शुरुआत, फिर आक्रामकता का प्रदर्शन
पंत ने अपनी पारी की शुरुआत में बेन स्टोक्स की गेंद पर स्ट्रेट ड्राइव से चौका मारा, लेकिन इसके बाद उन्होंने खुद पर नियंत्रण रखा। अगली 44 गेंदों पर केवल 16 रन बनाकर उन्होंने दिखा दिया कि वे अब हर गेंद पर रन बनाने की कोशिश नहीं करते, बल्कि मैच सिचुएशन को पढ़ते हैं।
गावस्कर ने कहा, “जब वो रक्षात्मक खेलते हैं, तो ऐसा लगता है कि उनके पास बहुत समय है। तेज़ गेंदबाज़ों के खिलाफ उनका डिफेंस इतना सधा हुआ है कि जैसे वो कह रहे हों – देखो, मुझे कोई जल्दी नहीं है।”
संयम से सजी शानदार फिफ्टी, पूरे किए 3000 टेस्ट रन
पंत ने अपनी फिफ्टी 91 गेंदों में पूरी की, जो उनकी पारंपरिक शैली से उलट एक संयमित आंकड़ा है। उन्होंने तीसरी बाउंड्री अपनी 48वीं गेंद पर, और फिर शोएब बशीर को 60वीं गेंद पर पुल शॉट से चौका और अगले ओवर में छक्का जड़कर अपनी पहचान दिखाई।
इस पारी के साथ ही पंत ने टेस्ट क्रिकेट में 3000 रन भी पूरे कर लिए, जो उनके करियर का एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका जैसे दौरे से मिली सीख
गावस्कर ने पंत की पिछली पारियों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में जिन हालातों में शतक लगाए हैं, वह कोई सामान्य बल्लेबाज़ नहीं कर सकता। उनके खेल में डिफेंस और अटैक का जबरदस्त तालमेल है, जो उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग करता है।
ऋषभ पंत अब सिर्फ एक विस्फोटक बल्लेबाज़ नहीं, एक रणनीतिक योद्धा हैं
ऋषभ पंत की यह पारी सिर्फ एक स्कोर नहीं, बल्कि परिपक्वता की घोषणा थी। उनके फुटवर्क, गेंदबाज़ों की थकान का अंदाज़ा और मौके पर हमला करने की क्षमता ने उन्हें इस मैच का ही नहीं, बल्कि भारतीय टेस्ट क्रिकेट का एक ज़रूरी स्तंभ बना दिया है। सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज की तारीफ इस बात का संकेत है कि पंत अब बेवकूफ नहीं, बल्कि बेहद समझदार बल्लेबाज़ के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं।