12-18 साल के बच्चों के लिए पहला देसी टीका तैयार, Zydus Cadila ने DCGI से Zycov-D के लिए मांगी इमरजेंसी यूज की मंजूरी

By: Pinki Thu, 01 July 2021 12:35:11

12-18 साल के बच्चों के लिए पहला देसी टीका तैयार, Zydus Cadila ने  DCGI से Zycov-D के लिए मांगी इमरजेंसी यूज की मंजूरी

जायडस कैडिला Zydus Cadila ने अपनी कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी (Zycov-D) के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मांगी है। यह वैक्सीन 12 वर्ष की उम्र से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए कोरोना वायरस बीमारी (Covid-19) के खिलाफ डीएनए वैक्सीन (DNA Vaccine) है। इसके फेज-3 के ट्रायल पूरे हो चुके हैं। कंपनी का कहना है कि उसका सालाना 12 करोड़ डोज बनाने का प्लान है। जायकोव-डी के फेज-3 ट्रायल 28,000 लोगों पर किए गए थे। इनमें 1000 ऐसे थे, जिनकी उम्र 12-18 साल थी। कंपनी ने कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान ये ट्रायल किए थे। जायडस कैडिला का कहना है कि उसकी वैक्सीन कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर भी प्रभावी है।

जायकोव-डी को मंजूरी मिलती है तो यह देश में पांचवीं अप्रूव्ड वैक्सीन होगी। दो दिन पहले ही अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना को कोरोना वैक्सीन को DCGI ने मंजूरी दी है। इससे पहले कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-V को अप्रूवल मिला था।

भारत में अभी वैक्सीन डबल डोज लगाई जा रही हैं। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन और स्पुतनिक लाइट जैसी सिंगल डोज वैक्सीन भी हैं, जो आने वाले महीनों में भारत में आ सकती हैं, लेकिन जायकोव-डी वैक्सीन इन सभी से अलग है। इस भारतीय वैक्सीन के एक या दो नहीं बल्कि तीन डोज लगाए जाएंगे।

पहली DNA बेस्ड वैक्सीन होगी

जायकोव-डी एक DNA-प्लाज्मिड वैक्सीन है। ये वैक्सीन शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए जेनेटिक मटेरियल का इस्तेमाल करती है। जिस तरह अमेरिका समेत कई देशों में लग रही फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए mRNA का इस्तेमाल करती हैं, उसी तरह ये प्लाज्मिड-DNA का इस्तेमाल करती है। वैक्सीन कैंडिडेट के स्टैबिलिटी डेटा से पता चला है कि ZyCoV-D को लंबे समय तक उपयोग के लिए 2 से 8 डिग्री सेल्सियस और अल्पावधि के लिए 25 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है.

हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के प्रमुख डॉ। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि बच्चों के लिये कोविड-19 टीकों की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और इससे स्कूल खुलने और उनके लिए बाहर की गतिविधियों का रास्ता खुलेगा। हाल ही में एम्स डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया ने कहा था, 'अगर जायडस के टीके को मंजूरी मिलती है तो यह भी एक और विकल्प होगा।'

भारत में अभी 3 वैक्सीन और एक पाउडर

देश में फिलहाल सीरम सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। रूस की स्पुतनिक-V को भी भारत में इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा DRDO ने कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर होता है, जिसे पानी में घोलकर दिया जाता है।

बता दें भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन के दो से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों पर किये गए दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़ों के सितंबर तक आने की उम्मीद है।

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