भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में चलाए गए आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन सिंदूर से पूरे देश में उत्सव का माहौल है। इस ऑपरेशन से बिहार के वैशाली जिले के कुछ महिलाओं का एक अनोखा व्रत पूरा हुआ है, जो लोकतंत्र की जन्मभूमि मानी जाती है। इन महिलाओं ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले में मारे गए लोगों की विधवाओं के साथ न्याय की मांग को लेकर अपने माथे पर सिंदूर न लगाने का संकल्प लिया था। इन महिलाओं ने 15 दिनों तक अपने माथे पर सिंदूर नहीं लगाया और इस व्रत को जारी रखा।
जब भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक मंगलवार रात को हुई, तो बुधवार सुबह 10 बजे हाजीपुर शहर के गांधी आश्रम में इन महिलाओं ने एक-दूसरे के माथे में सिंदूर भरकर अपना व्रत पूरा किया। इससे पहले, इन महिलाओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की और मोहल्लों में टोली बनाकर सिंदूर लगाओ पर्व का संदेश दिया। गांधी आश्रम का मंच वह ऐतिहासिक स्थान है, जहां महात्मा गांधी और भगत सिंह ने देश की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई थी।
इन महिलाओं का कहना है कि भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर से न केवल देश की सुरक्षा हुई है, बल्कि महिलाओं के सम्मान और अस्तित्व की भी रक्षा हुई है। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि यदि पाकिस्तान ने फिर से कोई हरकत की तो महिलाएं चूड़ियां पहनकर नहीं बैठेंगी। वे भारत के अस्तित्व की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी भी लगाएंगी।
इस कार्यक्रम में हिंदू जागरण के क्षेत्र संयोजक विनोद कुमार यादव, इस्कॉन के प्रचारक सीता रामेश्वर दास, डॉक्टर यूं एस गौतम, सोनू, अशोक राय सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। हाजीपुर नगर में सिंदूर लगाओ अभियान चलाने वालीं बहनों में डॉक्टर अर्चना गौतम, यशोदा देवी, बेबी देवी, राधा कुमारी, मिलन कुमारी, बिंदु देवी, सुदामा देवी, सविता देवी, अनु देवी, सीमा कुमारी, शोभा देवी, नीलम देवी सहित अन्य महिलाएं शामिल हुईं।