कोरोना वायरस को लेकर WHO की इस चेतावनी ने बढ़ाई लोगों की चिंता
By: Pinki Tue, 26 May 2020 1:41:04
दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामले 55 लाख का आंकड़ा पार कर चुके हैं। वहीं इस वायरस से होने वाली मौत का आंकड़ा 3 लाख 46 हजार 900 हो गया है। अमेरिका में लॉकडाउन में ढील दी गई है, इससे वहां संक्रमण का खतरा काफी बढ़ गया है। कोरोना से अमेरिका के बाद ब्राजील सबसे ज्यादा प्रभावित है। इन सबके बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का ट्रायल फिलहाल रोक दिया है। इस दवा के साइड इफेक्ट्स को देखते हुए ये फैसला लिया गया। डब्ल्यूएओ के चीफ टेड्रॉस गेब्रयेसस के मुताबिक मेडिकल जर्नल लेन्सेट की एक स्टडी में पिछले हफ्ते कहा गया था कि कोरोना के मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन देने से उनको जान का जोखिम बढ़ सकता है।
जरा सी लापरवाही तो अंजाम बुरा होगा
वहीं, सोमवार को WHO ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामारी के बचाव के उपायों में अगर जरा भी ढील या लापरवाही बरती गई तो कोरोना वायरस का कहर उन जगहों पर एक बार फिर वापस लौट सकता है जहां इसका कहर अभी थम गया है। WHO में इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉक्टर माइक रियान ने बताया कि ये महामारी अक्सर लहरों में आती है। इसका मतलब ये हुआ कि कोरोना वायरस इस साल के अंत में उन जगहों पर वापस लौट सकता है, जहां इसका कहर थम गया है।
डॉक्टर माइक रियान ने एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में कहा कि विश्व अभी भी कोरोना वायरस की पहली लहर के मध्य में है। कोरोना के मामले जहां कई देशों में घट रहे हैं। वहीं, सेंट्रल और साउथ अमेरिका समेत साउथ एशिया और अफ्रीका में इसका संकट अभी भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर अगर सावधानी नहीं बरती गई तो पूरी संभावना है कि इस संक्रमण की रफ्तार उन इलाकों में और तेज होगी जहां ये काफी जल्दी सुस्त पड़ गया था।
रियान ने कहा कि हमें इस बारे में भी साक्ष्यों की जरूरत है कि क्या संक्रमण के मामले किसी भी वक्त अचानक से बढ़ सकते हैं। संक्रमण का स्तर नीचे आने के बावजूद हम इसे लेकर पूर्वानुमान नहीं लगा सकते हैं। इसके मामले घट रहे हैं, लेकिन इस लहर में दूसरी उछाल भी आ सकती है।
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उन्होंने कहा कि यूरोप और नॉर्थ अमेरिका को एक व्यापक रणनीति के तहत पब्लिक हेल्थ, सामाजिक उपाय और टेस्टिंग को लेकर ये सुनिश्चित करना चाहिए कि इन मामलों में लगातार कमी आए और यहां संक्रमण और ज्यादा न फैले।
कई यूरोपियन देशों और अमेरिका में पिछले कुछ हफ्तों में अपने यहां लॉकडाउन से कोरोना के खतरे को कम किया है। हालांकि ऐसा करने से इन देशों की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है।