राजपाल सिंह शेखावत को मनाने का काम वसुंधरा राजे को, जो नहीं माने उन्हें पार्टी से निकाला जाएगा

By: Shilpa Wed, 08 Nov 2023 3:22:06

राजपाल सिंह शेखावत को मनाने का काम वसुंधरा राजे को, जो नहीं माने उन्हें पार्टी से निकाला जाएगा

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों में भाजपा को अपने ही बागी उम्मीदवारों से खासा नुकसान होने की आशंका है। भाजपा के 33 बागी प्रत्याशियों ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। 6 नवम्बर को नामांकन भरने का काम पूरा होने के साथ ही भाजपा ने अब अपने रूठों को मनाने का काम शुरू कर दिया है। 9 नवम्बर तक प्रत्याशियों के नाम वापसी का अंतिम दिन है। भाजपा के बस दो ही दिन हैं जब वो अपने रूठों को मना सकती है। बताया जा रहा है कि पार्टी ने सोच रखा है जो नहीं मानेंगे उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।

राजपाल सिंह शेखावत को मनाने का काम वसुंधरा

खास बात यह है कि पार्टी ने झोटवाड़ा से निर्दलीय नामांकन दाखिल करने वाले राजपाल सिंह शेखावत को मनाने की जिम्मेदारी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को सौंपी है। राजपाल को राजे के सबसे करीबी नेताओं में गिना जाता है। पार्टी ने इस बार राजे के तीनों करीबी राजपाल, अशोक परनामी और युनूस खान को टिकट नहीं दिया है। इसके अलावा भूपेन्द्र यादव को तिजारा, राजेन्द्र राठौड़ को चित्तौड़गढ़ सीट की जिम्मेदारी दे रखी है। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर, वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी भी बागियों को मनाने में जुटे हैं।

इसके अलावा स्थानीय नेताओं और जिलाध्यक्षों के जरिए भी बागियों से संपर्क किया जा रहा है। कोर कमेटी के नेताओं के साथ प्रदेश के नेता भी जुट गए हैं। पार्टी अब तक चित्तौड़गढ़ सीट से निर्दलीय नामांकन भरने वाले विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या को मनाने को लेकर आक्या से बातचीत कर चुकी है। सांचौर से जीवाराम चौधरी, झोटवाड़ा से राजपाल सिंह शेखावत, कोटपूतली से मुकेश गोयल, शिव से रविन्द्र सिंह, शाहपुरा से कैलाश मेघवाल, खंडेला से बंशीधर बाजिया सहित अन्य बागी हुए नेताओं से भी बात करने का दावा किया जा रहा है।

कांग्रेस-भाजपा में बागी

ऐसा नहीं है कि बागियों की संख्या और उन्हें मनाने का ज़ोर किसी एक पार्टी में ही लग रहा है। जितने बागी नेता कांग्रेस में हैं लगभग उतने ही भाजपा में हैं। एक आंकलन के अनुसार पूरे प्रदेश में ऐसी करीब 33 से ज्यादा सीटें हैं जहां बागी भाजपा-कांग्रेस का गणित बिगाड़ रहे हैं।

यही कारण है कि इन रूठे बागियों को मनाने के लिए दोनों दलों ने अपने 'चाणक्य’ मैदान में उतारे हैं। दोनों दलों के नेताओं ने मंगलवार को प्रत्याशियों से यही फीडबैक लिया कि कौन सा बागी उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है और किस बागी के जातिगत समीकरणों से फायदा है।

डैमेज कंट्रोल कमेटी फेल

पार्टी ने कैलाश चौधरी, राजेंद्र गहलोत और नारायण पंचारिया की एक डैमेज कंट्रोल कमेटी भी बनाई थी। मगर यह कमेटी फेल रही। हाल यह है कि चौधरी अपने क्षेत्र के बागियों तक को नहीं मना पाए। जिसके चलते सोनाराम चौधरी कांग्रेस में चले गए। जालम सिंह रावलोत, तरूण राय कागा आरएलपी से चुनाव लड़ रहे हैं। रविन्द्र सिंह भाटी बागी हो गए, प्रियंका चौधरी को भी वे नहीं मना पाए, जिसके चलते पार्टी ने अन्य नेताओं को अब जिम्मेदारियाँ दी है।

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