तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के तहत निर्माणाधीन टनल की छत का एक हिस्सा ढह जाने से बड़ा हादसा हो गया। इस घटना में आठ लोग सुरंग के भीतर फंसे हुए हैं, जिन्हें बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान तेज कर दिया गया है।
विशेषज्ञों और सेना की मदद ले रही सरकार
तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने हादसे को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार बचाव कार्य के लिए विशेषज्ञों की सहायता ले रही है। इनमें वे एक्सपर्ट भी शामिल हैं जिन्होंने पिछले साल उत्तराखंड में इसी तरह की घटना में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला था। इसके अलावा, सरकार सेना और एनडीआरएफ की भी मदद ले रही है, ताकि जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके।
फंसे लोगों की पहचान और सुरक्षा उपाय
टनल में फंसे लोगों में दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और चार मजदूर शामिल हैं। ये सभी उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के निवासी हैं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में ताजा हवा पहुंचाने की व्यवस्था की गई है, ताकि वे सांस ले सकें और हालात काबू में रहें।
प्रधानमंत्री मोदी ने लिया जायजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से फोन पर बात की और राहत कार्यों की प्रगति की जानकारी ली। केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता देने का आश्वासन भी दिया गया है। प्रशासन और बचाव दल पूरी मुस्तैदी से राहत कार्य में जुटे हुए हैं, ताकि फंसे हुए लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
तेलंगाना टनल हादसा: बचाव कार्य जारी, बड़े अपडेट
- एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। शनिवार सुबह पहली शिफ्ट में 50 श्रमिक 200 मीटर लंबी बोरिंग मशीन के साथ सुरंग में प्रवेश किए। अधिकारी ने बताया कि काम के दौरान वे सुरंग के भीतर 13.5 किलोमीटर तक पहुंचे थे, तभी अचानक छत गिर गई।
- हादसे में बोरिंग मशीन के आगे काम कर रहे दो इंजीनियरों सहित आठ लोग मलबे में फंस गए, जबकि 42 अन्य लोग तेजी से सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागकर सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे। अधिकारी ने बताया कि विशेषज्ञों की सहायता से फंसे हुए लोगों को बचाने के प्रयास लगातार जारी हैं।
- उन्होंने आगे कहा कि सुरंग के भीतर पानी निकासी की प्रक्रिया चल रही है, जो बेहद जटिल और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। फंसे हुए कर्मी सुरंग के 14 किलोमीटर अंदर मौजूद हैं, और उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए बचाव दल पूरी तत्परता से काम कर रहा है।
- तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा, "हमारी सरकार फंसे हुए आठ लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। हमने उत्तराखंड की घटना में बचाव कार्य का नेतृत्व करने वाले विशेषज्ञों से भी संपर्क किया है।"
- मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री को घटना की पूरी जानकारी दी और उन्हें आश्वस्त किया कि बचाव अभियान तेजी से जारी है।
- प्रेस विज्ञप्ति में यह भी बताया गया कि राज्य के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और जुपल्ली कृष्ण राव स्वयं घटनास्थल पर मौजूद हैं और राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
- आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सुरंग में प्रवेश करने वाली टीमों की सहायता के लिए ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरंग के भीतर 13 किलोमीटर तक रास्ता साफ है, लेकिन 14 किलोमीटर के भीतर ढांचा ढह जाने के कारण बचाव अभियान जटिल हो गया है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि सुरंग की समग्र स्थिति को लेकर अभी भी चिंताएं बनी हुई हैं।
- सूत्रों के अनुसार, घटनास्थल पर भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया है, जिससे बचाव कार्य में कठिनाई हो रही है। संभावित खतरों का आकलन करने और आगे की कार्रवाई तय करने के लिए बचाव दल ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि बचाव अभियान पूरी रात जारी रहेगा।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरंग के अंदर से अब भी तेज आवाजें आ रही हैं, जिससे बचाव टीमें अंदर जाने में हिचकिचा रही हैं।
- सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने जानकारी दी कि नलगोंडा जिले में चार लाख एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए श्रीशैलम परियोजना के तहत 'दुनिया की सबसे लंबी 44 किलोमीटर लंबी सुरंग' का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस सुरंग के करीब 9.50 किलोमीटर हिस्से का काम अब भी बाकी है।
- इससे पहले, सरकारी स्वामित्व वाली ‘सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड’ (एससीसीएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एन. बलराम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कोयला खनन विशेषज्ञों की 19 सदस्यीय टीम बचाव कार्य में सहयोग करने के लिए घटनास्थल के लिए रवाना हो चुकी है।
- एससीसीएल के अध्यक्ष एन. बलराम ने कहा कि उनकी कंपनी के पास इस तरह की आपात स्थितियों में लोगों को बचाने का व्यापक अनुभव और आवश्यक उपकरण हैं। बचाव अभियान का नेतृत्व महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी कर रहे हैं।
- सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री रेड्डी लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और उन्होंने अधिकारियों को बचाव अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं ताकि फंसे हुए लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जा सके।
- एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने बताया, "हमने कल रात करीब 10 बजे सुरंग के अंदर जाकर स्थिति का आकलन किया। 13 किलोमीटर की दूरी में से 11 किलोमीटर हमने लोकोमोटिव पर और बाकी 2 किलोमीटर कन्वेयर बेल्ट पर तय की। जब हम टनल बोरिंग मशीन (TMV) के अंत तक पहुंचे, तो हमने फंसे हुए श्रमिकों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।"
- उन्होंने आगे बताया कि मलबे से करीब 200 मीटर का हिस्सा पूरी तरह भरा हुआ है, जिससे बचाव कार्य में बाधा आ रही है। जब तक यह मलबा साफ नहीं किया जाता, तब तक फंसे हुए श्रमिकों की सटीक स्थिति का पता नहीं लगाया जा सकता और उन्हें बाहर निकालना संभव नहीं होगा।
- डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने यह भी बताया कि सुरंग के 11-13 किलोमीटर के हिस्से में पानी भरा हुआ है। जब तक पानी पूरी तरह नहीं निकाला जाता, तब तक मलबा हटाने का काम शुरू नहीं किया जा सकता। "पहले हमें पानी निकालना होगा, फिर मलबा साफ करना होगा। फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है," उन्होंने कहा।