
चेन्नई। तमिलनाडु उपभोक्ता अदालत ने रेलवे पर अपने यात्रियों को विश्राम गृह की सुविधा उपलब्ध न करवाने पर जुर्माना लगाया है। उपभोक्ता अदालत का यह निर्णय यात्रियों द्वारा निजामुद्दीन, अमृतसर और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशनों पर पहले से बुक कराए गए विश्राम कक्ष के यात्रियों को वहाँ पहुँचने पर इस सुविधा से वंचित करने पर दिया गया है।
प्राप्त समाचारों के अनुसार यात्री निजामुद्दीन, अमृतसर और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशनों पर ठहरे थे। इसके लिए उन्होंने पहले ही विश्राम कक्ष बुक कराया था, लेकिन स्टेशन पर पहुंचने पर बुकिंग होने से इनकार कर दिया गया।
पेश मामले के अनुसार पुदुवन्नारपेट के लक्ष्मणन और कुड्डालोर जिले के रामू ने चेन्नई उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार 2019 में लक्ष्मणन और रामू दिल्ली और आगरा सहित विभिन्न स्थानों के लिए पर्यटन यात्रा पर गए थे।
निजामुद्दीन, अमृतसर और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशनों पर विश्राम के लिए बुक करवाया था। लेकिन जब वे आराम करने गए तो रेलवे कर्मचारियों ने यह कहते हुए कमरा आवंटित करने से मना कर दिया कि सिस्टम में उनके नाम से बुकिंग को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं है। फिर यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर लेटकर समय बिताना पड़ा। बाद में इसके खिलाफ उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस शिकायत की सुनवाई अध्यक्ष गोपीनाथ और सदस्य राममूर्ति की अध्यक्षता में हुई।
सुनवाई के दौरान दक्षिण रेलवे के चेन्नई मंडल महाप्रबंधक ने कहा, 'यदि किसी कारणवश विश्राम कक्ष आवंटित करना संभव नहीं हो पाता है तो उसके लिए भुगतान की गई राशि वापस करने का नियम है। इसके अनुसार विश्राम कक्ष के लिए भुगतान की गई राशि वापस कर दी गई। इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए।'
सभी दलीलें सुनने के बाद चेन्नई उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग के अध्यक्ष ने कहा, 'यात्री अपनी अगली ट्रेन यात्रा की सुविधा के लिए रेलवे स्टेशन लाउंज का चयन करते हैं। इसलिए, जहां तक याचिकाकर्ता का सवाल है, उसने रेलवे स्टेशन लाउंज पहले से बुक कर लिया था। हालांकि, उसे काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा क्योंकि उसे कमरा आवंटित नहीं किया गया था।
अदालत ने कहा कि चूंकि रेलवे प्रशासन की इस सेवा में कमी के कारण याचिकाकर्ताओं को मानसिक कष्ट हुआ है, इसलिए दक्षिण रेलवे को याचिकाकर्ताओं को मुआवजे के रूप में 25,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 5,000 रुपये देने चाहिए।
आयोग ने जिसने इसी मुद्दे पर 7 अन्य पीड़ितों द्वारा दायर मामले की सुनवाई की। दक्षिण रेलवे को आदेश दिया कि वह उन्हें मुआवजे के रूप में कुल 90,000 रुपये और मुकदमे की लागत के रूप में 20,000 रुपये का भुगतान करे।














