जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन मैदान में हुए आतंकी हमले को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस हमले ने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, बल्कि पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से उठाने का अवसर भी प्रदान किया है। उमर अब्दुल्ला ने इसे कई वर्षों की मेहनत की बर्बादी करार दिया, जिसके तहत कश्मीर में पर्यटन और शांति बहाली की कोशिशें की जा रही थीं।
एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब कश्मीर के पर्यटन उद्योग ने रफ्तार पकड़ी थी, लेकिन अब सब कुछ फिर से ठहर गया है। उन्होंने कहा, "हम एक ऐसे मोड़ पर आ गए हैं जहां हम कभी नहीं सोचे थे कि फिर लौटेंगे। यहां फिर से खूनखराबा है, पीड़ा है, उथल-पुथल है... सब कुछ बदल गया है, लेकिन कुछ भी नहीं बदला है।"
मुख्यमंत्री ने यह भी चिंता जताई कि पाकिस्तान ने जानबूझकर कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, "जब मैं कहता हूं कि कुछ भी नहीं बदला है - तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान ने, दुर्भाग्य से फिर से जम्मू और कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है।" उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका में खुद को शामिल करने के लिए उत्सुक है।
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो संघर्षविराम अब तक किसी तरह से बना हुआ था, वह अब टूट चुका है। अब हम यह देखने को मजबूर हैं कि आज रात क्या होता है।
इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय व्यक्ति शामिल थे। आतंकवादियों ने पहले धार्मिक पहचान की पुष्टि की और फिर गोलियां चलाईं। मारे गए लोगों में कई नवविवाहित जोड़े भी शामिल थे।
हमले के कुछ दिन बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर तबाह किया गया। इसके अगले दिन पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल हमले किए और सीमावर्ती इलाकों में तोपों से गोलीबारी शुरू कर दी। हालांकि, भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के एयरबेस, कमांड सेंटर, सैन्य ढांचे और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया। इसके बाद चौथे दिन पाकिस्तान ने अपने कदम पीछे खींच लिए और हालात में अस्थायी शांति आई।
इस घटना ने कश्मीर के पर्यटन उद्योग को फिर से संकट में डाल दिया है, जो पहले ही कई वर्षों की अशांति और संघर्ष के कारण प्रभावित था। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर इस संकट से कैसे निपटती हैं और कश्मीर में शांति और स्थिरता कैसे बहाल की जाती है।