निठारी कांड: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, रद्द की सुरेन्द्र कोली और मनिंदर पंढेर की फांसी, किया बरी

By: Rajesh Bhagtani Mon, 16 Oct 2023 12:57:18

निठारी कांड: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, रद्द की सुरेन्द्र कोली और मनिंदर पंढेर की फांसी, किया बरी

नई दिल्ली। नोएडा के कुख्यात निठारी कांड में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 मामलों में आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर पंढेर की फांसी की सजा रद्द कर दी है। दोनों को फांसी की सजा के खिलाफ अपीलों पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोली पर आरोप है कि वह पंढेर की कोठी का केयरटेकर था और लड़कियों को लालच देकर कोठी में लाता था। निठारी गांव की दर्जनों लड़कियां गायब हो गई थीं। पंढेर के घर के पास नाले में कई कंकाल मिले थे। ज्ञातव्य है कि सुरेंद्र कोली को 10 से अधिक मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी। वहीं, पंढेर को तीन मामलों में फांसी की सजा मिली थी। इन दोनों ने फांसी की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाई थीं। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की पीठ ने यह फैसला सुनाया है।

अदालत ने पारित अपने आदेश में दोनों को बरी कर दिया। इसके पहले गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या का आरोप तय करते हुए दोनों आरोपियों को फांसी की सजा दी थी। हालांकि अब कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह दोनों को निर्दोष करार दिया है।

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट निठारी कांड में सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद द्वारा सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर को मिली फांसी की सजा के खिलाफ अपील मंजूर कर ली है। आरोप संदेह से परे साबित न हो पाने के कारण निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है।

जानकारी के अनुसार, निठारी कांड में सीबीआई ने कुल 16 मामले दर्ज किए थे। इनमें से सुरेंद्र कोली को 14 मामलो में फांसी की सजा मिली है। वहीं मनिंदर सिंह पंढेर पर कुल 6 मामले दर्ज किए गए थे। पंढेर को 3 मामलों में फांसी मिल चुकी है। हालांकि दो मामलों में वह पहले ही बरी हो चुका है।

गौरतलब है कि वर्ष 2006 में निठारी गांव की कोठी नंबर डी-5 से नरकंकाल मिला था। वहीं, कोठी के पास नाले से बच्चों के अवशेष बरामद किए गए थे। निठारी कांड का खुलासा लापता लड़की पायल की वजह से हुआ था। चर्चाओं में आने के बाद यह पूरा मामला देशभर के लोगों के बीच फैल गया। यहां से मानव शरीर के हिस्सों के पैकेट मिले थे। नरकंकालों को नाले में फेंका गया था। उत्तराखंड का रहने वाला सुरेंद्र कोली डी-5 कोठी में मोनिंदर सिंह पंढेर का नौकर था। परिवार के पंजाब चले जाने के बाद दोनों कोठी में रह रहे थे।

निठारी गांव वालों का आरोप- पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्यापार होता था

दोनों आरोपियों ने दो मामलों में अपनी फांसी की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। आरोपियों ने कोर्ट में कहा था कि इन घटनाओं का कोई चश्मदीद मौजूदनहीं है। उन्हें सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर ये सजा सुनाई गई है। आरोप है कि कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़कर सुरेंद्र कोली उनके साथ दुष्कर्म करता था और उनकी हत्या कर उन्हें नाले में फेंक देता था। निठारी गांव के लोगों का यह भी कहना था कि पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्यापार होता था। कोली और पंढेर बच्चों को मारकर उनके अंग निकाल लेते थे। इन्हें विदेश में बेचा जाता था।

फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी थी चुनौती

सीबीआई ने 2005 से 2006 में नोएडा में हुए निठारी मामले में सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूत मिटाने के केस में आरोपी बनाया था। वहीं पंधेर पर मानव तस्करी का भी आरोप लगा था। दोनों ने दो मामलों को लेकर फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती थी। आरोपियों का कहना था कि इन मामलों में कोई चश्मदीद गवाह मौजूद नहीं है। उन्हें ये सजा सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजनक सबूतों के आधार पर सजा सुनाई गई है।

लंबी चली बहस


न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एस एच ए रिजवी की खंडपीठ ने लंबी चली बहस के बाद अपीलों पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार 16 अक्टूबर को फैसला सुनाया गया।

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