नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में मौजूदा बिल की जगह नया आयकर विधेयक पेश किया। नया विधेयक 1961 के मौजूदा आयकर अधिनियम को सरल बनाने और उसमें सुधार करने के लिए बनाया गया है।
नए बिल में सरकार ने कानूनों के सरलीकरण पर जोर दिया गया है। नया कानून पुराने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह लेगा, जो कि मौजूदा समय में पुराना पड़ चुका है और बार-बार संशोधनों के कारण काफी पेचीदा हो गया है।
मौजूदा कानून को बहुत जटिल और नियमित करदाताओं के लिए समझने में मुश्किल होने के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। नए विधेयक का उद्देश्य चीजों को सरल बनाना है, जिसमें 23 अध्याय, 16 अनुसूचियाँ और लगभग 536 खंड शामिल हैं। यह मौजूदा अधिनियम से एक उल्लेखनीय कमी है, जो 823 पृष्ठों में फैला है, जिसमें 23 अध्याय, 14 अनुसूचियाँ और 298 धाराएँ शामिल हैं।
नए इनकम टैक्स बिल 2025 में सेक्शन की संख्या घटाकर 819 से 536 कर दी गई है। इसमें अनावश्यक छूटों को समाप्त कर दिया गया है और साथ ही नए बिल में कुल शब्द संख्या 5 लाख से घटाकर 2.5 लाख कर दी गई है।
नए इनकम टैक्स बिल 2025 में सरकार ने सुधारों और कानून को सरल बनाने पर जोर दिया है। नए इनकम टैक्स बिल में चीजों को आसान बनाने पर फोकस किया गया है। साथ ही 'असेसमेंट ईयर' को 'टैक्स ईयर' से रिप्लेस किया जाएगा।
नया टैक्स कानून एक अप्रैल, 2026 से अमल में लाया जाएगा।
लोकसभा में पेश होने के बाद, नए कानून को आगे के विचार-विमर्श के लिए वित्त पर संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा।
यह बिल मौजूदा टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं करेगा या दी गई टैक्स छूट को कम करेगा। इसके बजाय नए कानून का लक्ष्य छह दशक पुराने कानून को मौजूदा समय के अनुकूल बनाना है। इससे भारत का टैक्स बेस मजबूत होगा और लंबे समय में आय स्थिरता में सुधार होगा। यह कानून भारत के टैक्स सिस्टम को ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस के करीब भी लाता है।
नए इनकम टैक्स बिल 2025 की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें टेक्नोलॉजी से संचालित असेसमेंट पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
अधिक स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए नए इनकम टैक्स बिल में व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए व्याख्या को आसान बनाने के लिए टैक्स प्रावधानों को समझाने के लिए तालिकाएं, उदाहरण और सूत्र भी शामिल किए गए हैं।
टैक्स कानूनों को सरल बनाकर नए इनकम टैक्स बिल 2025 में सरकार की कोशिश है कि बिजनेस अपना ध्यान वृद्धि पर लगाए न कि टैक्स प्लानिंग पर। इससे देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद मिलेगी।