जोशीमठ के बाद अब धंसने लगी नैनीताल की जमीन, आल्मा पहाड़ी दरकने से जमींदोज हुए 4 घर, 250 घरों को खाली करवाना शुरू किया

By: Rajesh Bhagtani Mon, 25 Sept 2023 12:07:47

जोशीमठ के बाद अब धंसने लगी नैनीताल की जमीन, आल्मा पहाड़ी दरकने से जमींदोज हुए 4 घर, 250 घरों को खाली करवाना शुरू किया

नैनीताल। खूबसूरत पहाड़ी शहर नैनीताल की जमीन धंसने लगी है। शनिवार को यहां आल्मा पहाड़ी दरकने से 4 घर जमींदोज हो गए। इस घटना के बाद नैनीताल प्रशासन हरकत में आया। रविवार को उसने आल्मा पहाड़ी पर बने 250 घरों को खाली करवाना शुरू कर दिया।

नैनीताल के चार्टन लॉज अवागढ़ कंपाउंड में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के आनी की तरह शनिवार दोपहर भूस्खलन से दो मंजिला भवन पलभर में जमींदोज हो गया। इस भवन की चपेट में आने से दो अन्य भवन भी क्षतिग्रस्त हो गए। भूस्खलन के बाद 12 से ज्यादा मकान खतरे की जद में आ गए हैं। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है और आसपास के घरों को खाली करा दिया है। मौके पर बचाव कार्य भी शुरू कर दिए गए हैं।

शनिवार तड़के तीन बजे मल्लीताल अवागढ़ कंपाउंड क्षेत्र में हल्का भूस्खलन हो रहा था। इसी दौरान 30 साल पहले बनी सुरक्षा दीवार अचानक गिर गई। दीवार के गिरते ही भूस्खलन तेज होने लगा। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन को सूचना दी। कुछ देर बाद क्षेत्र में स्थित रास्ते व घरों में दरारें उभरने लगी तो लोग दहशत में आ गए। पुलिस ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में बने मकानों को खाली कराना शुरू कर दिया।

नैनीताल विकास प्राधिकरण ने इन घरों पर लाल निशान भी लगा दिए हैं। इन घरों को तीन दिन में खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। आल्मा सबसे संवेदनशील पहाड़ी है। यहां बसे 10 हजार परिवारों पर खतरा बढ़ रहा है।

20 साल में यहां बहुत ज्यादा निर्माण हुए

भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत के मुताबिक, आल्मा पहाड़ी इसलिए ज्यादा संवेदनशील है, क्योंकि ये नैनीझील ऊपर बांई ओर सीधी खड़ी है। बीते 20 साल में इस पहाड़ी पर बेतहाशा निर्माण हुए हैं। जबकि ये पहाड़ी नीचे से भुरभुरी है। कई बार वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से यहां निर्माण आज भी जारी है।

प्रो. पंत बताते हैं कि नैनीताल की भौगोलिक संरचना अन्य पहाड़ी शहरों से अलग है। इसके बीचों-बीच से गुजरने वाले नैनीताल फॉल्ट के साथ ही कुरिया फॉल्ट, पाइंस फाल्ट, एसडेल फाल्ट, सीपी हॉलो फाल्ट समेत अन्य छोट-छोटे फाल्ट्स शहर को बेहद संवेदनशील बनाते हैं। इन फॉल्ट में भौगोलिक हलचल बढ़ रही है, जिससे पहाड़ियां कमजोर हो रही हैं। भविष्य में यहां जोशीमठ से भी बड़ी आपदा का खतरा है।

33 साल से इस पहाड़ी पर अवैध निर्माण

नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण का कहना है कि पहाड़ी पर 1989 से 2022 तक बहुत ज्यादा अवैध निर्माण हुए। विभाग के अधिकारी पंकज उपाध्याय ने कहा कि अब हम सख्ती कर रहे हैं। जो लोग घर खाली नहीं करेंगे, वहां ताले डाल दिए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- हिमालय पर ज्यादा लोड

अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि हिमालय क्षेत्र में जनसंख्या का दबाव बढ़ गया है। इसलिए इसकी क्षमता के अध्ययन के लिए विशेषज्ञ समिति बनाएं। पिछले महीने हिमाचल में बारिश से शिमला, कुल्लू में भारी भूस्खलन हुआ था। अध्ययन में कहा गया था कि 1875 में शिमला को सिर्फ 16 हजार लोगों के हिसाब से डिजाइन किया गया था। आज 1.70 लाख लोग रह रहे हैं।

1880 में आल्मा पर भूस्खलन में मारे गए थे 151 लोग

अंग्रेजी शासन के समय सन 1880 में इसी पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसमें 151 लोग मारे गए थे। इसमें 43 अंग्रेज अधिकारी व बाकी स्थानीय लोग शामिल थे। हादसे के बाद से अंग्रेजों ने पहाड़ी पर निर्माण बैन कर दिया था। आज इसी पहाड़ी पर करीब 10 हजार की आबादी बस चुकी है। आल्मा पहाड़ी के जिस इलाके में भूस्खलन हुआ है, वह पहले से असुरक्षित है।

भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बीएस कोटलिया का कहना है कि नैनी झील के बीचों बीच फॉल्ट लाइन गुजरती है। समय के साथ नैनीताल की संवेदशील पहाड़ियों पर निर्माण अधिक हो गया है। इससे भूस्खलन का खतरा है। कदम ना उठाए गए गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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