ISRO ने रचा इतिहास, सफलतापूर्वक लांच की गगनयान की पहली टेस्ट फ्लाइट

By: Shilpa Sat, 21 Oct 2023 1:30:43

ISRO ने रचा इतिहास, सफलतापूर्वक लांच की गगनयान की पहली टेस्ट फ्लाइट

नई दिल्ली। गगनयान मिशन के लिए पहली टेस्ट फ्लाइट को इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। इसरो ने रविवार सुबह 10 बजे श्री हरी कोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान के क्रू मॉड्यूल को लॉन्च किया। इसे टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइट भी कहा जा रहा है।

पहले इसे सुबह 8:45 बजे लॉन्च किया जाना था और उसके लिए काउंटडाउन भी शुरू हुआ था। लेकिन 5 सेकंड बचे ही थे कि काउंटडाउन रुक गया और मिशन होल्ड पर चला गया। इसके बाद इसे 10 बजे के लिए री – शेड्यूल किया गया और फिर इसे सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

तमाम बाधाओं और चुनौतियों से पार पाते हुए इसरो ने गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (Test Vehicle Abort Mission -1) और टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइंट (TV-D1) भी कहा जा रहा है।

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि टीवी-डीवी 1 (क्रू मॉड्यूल) मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया है। उन्होंने इस सफलता के इसरो की पूरी टीम को बधाई दी।

गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मनुष्य को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। क्रू मॉड्यूल के अंदर ही भारतीय अंतरिक्ष यात्री बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे।

‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है। शनिवार को पहली परीक्षण उड़ान के दौरान ‘क्रू मॉड्यूल’ में लगी विभिन्न प्रणालियों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए डेटा प्राप्त किया जाएगा, जिससे वैज्ञानिकों को यान के प्रदर्शन की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

एक बार और होगा परीक्षण

आज हुए टेस्ट उड़ान की सफलता के बाद गगनयान मिशन के आगे की सारी प्लानिंग तैयार की जाएगी। इसके बाद एक अगले साल एक और टेस्ट फ्लाइट होगी, जिसमें ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा। अबॉर्ट टेस्ट का मतलब होता है कि अगर कोई दिक्कत हो तो एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए।

क्रू मॉड्यूल को बंगाली की खाड़ी में गिराया गया। वहां पर पहले से मौजूद नौसेना की टीम बोट्स की मदद से क्रू मॉड्यूल तक पहुंच गई है। क्रू मॉड्यूल को रिकवर कर लिया गया है। अब इसे नेवी की टीम इसरो के वैज्ञानिकों को सौंपेगी। इसरो की टीम इस क्रू मॉड्यूल की स्टडी कर निष्कर्षों के आधार पर आगे की प्लानिंग तय करेगी।

जब स्थगित करना पड़ा था मिशन

इससे पहले इसरो प्रमुख ने लॉन्चिंग टलने पर कहा था कि हम यह पता लगा रहे कि क्या गड़बड़ी हुई। उन्होंने कहा, 'टेस्ट व्हीकल पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन इंजन समय पर चालू नहीं हो पाए। इसरो खामियों का विश्लेषण करेगा और जल्द ही इसे दुरुस्त किया जाएगा। लिफ्ट बंद करने का समय स्थगित कर दिया गया है। किसी वजह से स्वचालित लॉन्च बाधित हो गया और कंप्यूटर ने लॉन्च को रोक दिया, हम मैन्युअल रूप से खामियों का विश्लेषण करेंगे।'

अगले साल फिर भेजी जाएगी टेस्ट फ्लाइट

इस टेस्ट उड़ान की सफलता गगनयान मिशन के आगे की सारी प्लानिंग की रूपरेखा तय करेगी। इसके बाद एक अगले साल एक और टेस्ट फ्लाइट होगी जिसमें ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा। अबॉर्ट टेस्ट का मतलब होता है कि अगर कोई दिक्कत हो तो एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए।

इसरो ने बताया कि ‘क्रू मॉड्यूल’ (जिसमें अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे) और चालक बचाव प्रणाली से लैस एकल-चरण तरल प्रणोदन रॉकेट अंतरिक्ष केंद्र के पहले प्रक्षेपण तल से रवाना किया गया। परीक्षण यान मिशन का उद्देश्य अंततः गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए क्रू मॉड्यूल और चालक बचाव प्रणाली के सुरक्षा मानकों का अध्ययन करना है।

ये है मिशन का लक्ष्य


गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मनुष्यों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। क्रू मॉड्यूल के अंदर ही भारतीय अंतरिक्ष यात्री यानी गगननॉट्स बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे। इसरो अपने परीक्षण यान – प्रदर्शन (टीवी-डी1), एकल चरण तरल प्रणोदन रॉकेट के सफल प्रक्षेपण का प्रयास करेगा। इस क्रू मॉड्यूल के साथ परीक्षण यान मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है। शनिवार को पहली परीक्षण उड़ान के दौरान ‘क्रू मॉड्यूल’ में लगी विभिन्न प्रणालियों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए डेटा प्राप्त किया जाएगा जिससे वैज्ञानिकों को यान के प्रदर्शन की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

समुद्र में लैंडिग


शनिवार को संपूर्ण परीक्षण उड़ान कार्यक्रम संक्षिप्त रहने की उम्मीद है क्योंकि ‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डी1) क्रू एस्केप सिस्टम (चालक बचाव प्रणाली) और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित किया, जो श्रीहरिकोटा से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरा। बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना द्वारा इन्हें खोज कर निकाला जाएगा। मॉड्यूल को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल गए और इनकी लैंडिंग सुरक्षित तरीके से हुई।

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