भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव के बाद शनिवार, 10 मई को सीजफायर का ऐलान किया गया था। यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी। इस घोषणा के बाद यह चर्चा का विषय बन गया कि क्या अमेरिका ने संघर्ष विराम के लिए दबाव डालकर इसका श्रेय लिया है। अब इस मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के हस्तक्षेप पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
संजय राउत ने ट्रंप के कार्यों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति इतने शक्तिशाली हैं, तो इजरायल और गाजा के बीच के संघर्ष को क्यों नहीं रोक पाए? राउत का यह भी आरोप है कि ट्रंप ने सीजफायर के लिए भारत पर दबाव डाला था। उन्होंने यह भी कहा कि हम एक संप्रभु देश हैं, और हमें अपने आंतरिक मामलों में किसी अन्य राष्ट्र के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। राउत ने इसे भारत की संप्रभुता पर हमला बताते हुए मोदी सरकार की कमजोरी कहा, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति को बीच में आकर हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पड़ी।
सीजफायर पर संजय राउत का कहना था कि यदि सरकार मजबूत होती, तो ट्रंप को सीजफायर की घोषणा करने की आवश्यकता नहीं होती। राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए पूछा कि ऐसा क्या हुआ कि युद्ध को रोकने की आवश्यकता महसूस हुई? उन्होंने कहा कि हमने "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया था, ताकि उन आतंकवादियों और पाकिस्तानियों से बदला लिया जा सके जिन्होंने हमारे 26 माताओं और बहनों का सिंदूर उजाड़ दिया। राउत ने मोदी सरकार से सवाल किया कि पहलगाम हमले का बदला कब लिया जाएगा और उन छह आतंकवादियों का क्या हुआ जो कश्मीर में अभी भी छुपे हुए हैं?
संजय राउत ने कहा, "अगर सरकार मजबूत होती तो ट्रंप को बीच में लाने की जरूरत नहीं पड़ती।" उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने सिंदूर और हिंदू संस्कृति का अपमान किया है, क्योंकि वे उन आतंकवादियों को खत्म नहीं कर पाए जिन्होंने हमारे शहीदों के परिवारों का अपमान किया। राउत ने सरकार से मांग की कि एक ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई जाए, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को शामिल होना चाहिए और अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
VIDEO | Addressing a press conference in Mumbai, Shiv Sena (UBT) MP Sanjay Raut (@rautsanjay61) says, "Why hasn't US President Trump stopped the Israel-Gaza war? It is still going on. President Trump pressured India to stop its action against Pakistan. No other president can… pic.twitter.com/SJkdmOyajX
— Press Trust of India (@PTI_News) May 11, 2025
इसके बाद राउत ने यह सवाल भी उठाया कि प्रधानमंत्री बार-बार क्यों विदेश दौरे पर जाते हैं और हमारे संकट में कौन से देश हमारे साथ खड़े हुए हैं? उन्होंने जापान का उदाहरण दिया और कहा कि जापान की सेना हमारी मदद करने के लिए नहीं आई, जबकि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ खड़े हुए थे। राउत ने इसे कूटनीतिक असफलता करार देते हुए कहा कि भारत ने संयम बरता, लेकिन जब युद्ध जैसे हालात बने तो देश को एकजुट होना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सैनिकों का मनोबल गिराया गया है, और अगर उन्हें आदेश मिलता, तो वे लाहौर और कराची तक हिला सकते थे। राउत ने पूछा, "आपने कौन-सा बदला लिया है?" उनका यह भी कहना था कि पहले तो गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा लिया जाना चाहिए, क्योंकि श्रीनगर में अभी भी बम धमाके हो रहे हैं और गृह मंत्री जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
राउत ने सीजफायर को एक प्रकार की गद्दारी बताया और कहा कि यदि इंदिरा गांधी होतीं तो पाकिस्तान की हिम्मत नहीं होती। उन्होंने 1971 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय पाकिस्तान के 90,000 सैनिक घुटनों पर आ गए थे और पाकिस्तान ने सरेंडर किया था। उन्होंने पूछा, "आज आपने क्या किया? सिर्फ नारे लगाए।"
10 मई को सीजफायर की घोषणा की गई, जब भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले 18 दिनों से लगातार तनाव बना हुआ था। भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह तनाव और बढ़ गया था, और पाकिस्तान ने भारत पर लगातार ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू कर दिए थे। हालांकि, भारतीय रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान के किसी भी हमले को सफल नहीं होने दिया। इसी बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने तनाव कम करने की बात कही और इसके बाद 5 बजकर 37 मिनट पर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में दावा किया कि पाकिस्तान और भारत सीजफायर के लिए मान गए हैं। इसके बाद दोनों देशों ने अपने-अपने बयान जारी किए।
ट्रंप द्वारा किए गए इस सीजफायर के ऐलान के बाद कई सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्यों अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसका ऐलान किया और क्या उन्होंने इसे अपने नाम किया?