
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सुझाव दिया कि अगर सभी हिंदू एकजुट हो जाएं तो इससे दुनिया को फायदा होगा, चाहे वे किसी भी क्षेत्र या भाषा के हों। उन्होंने केरल के पथानामथिट्टा में हिंदू एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, "हिंदू समाज तभी फल-फूल सकता है जब वह एकजुट हो। सभी हिंदुओं को उनकी जाति, क्षेत्र या भाषा से परे एक माना जाना चाहिए। अगर सभी हिंदू एकजुट हो जाएं तो इससे दुनिया को फायदा होगा।"
आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि समाज की ताकत उसकी एकता में है, कोई भी व्यक्ति केवल अपनी ताकत पर निर्भर नहीं रह सकता।
उन्होंने कहा, "हिंदू समाज के लिए एकता होना बहुत जरूरी है, इससे उसकी शक्ति बढ़ेगी। जिस दुनिया में कोई समाज एकजुट होगा, वह फलेगा-फूलेगा, अन्यथा वह ढह जाएगा। इसे बताने का कोई और तरीका नहीं है। इतिहास इसका गवाह है।"
आरएसएस प्रमुख की यह ताजा टिप्पणी उस समय आई है जब एक महीने से भी कम समय पहले उन्होंने यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया था कि भारत को अयोध्या में राम मंदिर के पवित्रीकरण के दिन "सच्ची आजादी" मिली थी।
इंदौर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भागवत ने कहा कि पवित्रीकरण दिवस को "प्रतिष्ठा द्वादशी" के रूप में मनाया जाना चाहिए, जो सदियों के "परचक्र" (विदेशी आक्रमण) के बाद भारत की संप्रभुता की स्थापना का प्रतीक है।
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि न तो भागवत ने संविधान लिखा है और न ही आरएसएस रामलला को लेकर आया है।














