कैसे पास हुआ वर्किंग कमेटी में फिलिस्तीन समर्थन वाला प्रस्ताव, कांग्रेस कर रही जांच
By: Rajesh Bhagtani Sat, 14 Oct 2023 4:42:36
नई दिल्ली। इजरायल-हमास युद्ध के बीच कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के उस प्रस्ताव पर घमासान मच गया है, जिसमें पार्टी ने फिलिस्तीन का समर्थन किया था। इस प्रस्ताव में हमास या आतंकवाद का कोई जिक्र नहीं था। कांग्रेस ने अब इस प्रस्ताव की जांच शुरू कर दी है और पता लगा रही है कि आखिर यह प्रस्ताव कैसे पारित हुआ। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक चौतरफा आलोचना के बाद कांग्रेस अब भूल सुधार की दिशा में काम कर रही है और इसी क्रम में प्रस्ताव की जांच की जा रही है।
गलती सुधार रही कांग्रेस?
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के इस प्रस्ताव का जिक्र किये बगैर पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “कांग्रेस स्पष्ट रूप से निर्दोष इजरायली नागरिकों पर हमास के हमले की निंदा करती है…” आपको बता दें कि इजरायल पर हमास के हमले के ठीक बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने एक प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव में फिलिस्तीनी नागरिकों की गरिमा और सम्मान के समर्थन को दोहराया गया था। प्रस्ताव में दोनों पक्षों से लड़ाई पर विराम लगाने का आह्वान किया गया था। हालांकि इसमें कहीं भी हमास का नाम नहीं था।
Congress at it again!
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) October 9, 2023
Supporting terror organisations and terrorism while innocent civilians lose their lives to bullets. With this stand, the leading party of I.N.D.I alliance has exposed itself to the nation. How will the party protect its nation and citizens when it is… pic.twitter.com/sqPwlmzV0h
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बिहार की जातिगत जनगणना पर चर्चा करना चाहते थे और बहुत अनिवार्य होने पर ही मिडिल ईस्ट के मसले पर किसी बयान के पक्ष में थे, लेकिन CWC एक कदम आगे बढ़ गया और बाकायदा प्रस्ताव पारित कर दिया।
पी. चिदंबरम ने कहा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी इजरायल-हमास युद्ध पर टिप्पणी की है। चिदंबरम ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हमास द्वारा किया गया आतंकवादी हमला इजराइल-गाजा युद्ध का कारण है। उन्होंने कहा कि तत्काल हिंसा रोकने की आवश्यकता है। X पर एक पोस्ट में चिदंबरम ने कहा कि इजरायल-गाजा युद्ध के तेज होने और दोनों पक्षों में अधिक मौतें होने का खतरा है।