जोधपुर जिले के एक 18 साल की युवती और 21 साल के युवक ने शादी कर ली है। दोनों ने पुलिस सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसे ख़ारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि अगर युवक-युवती ने शादी करने का फैसला कर लिया है तो उनमें समाज का सामना करने का साहस होना चाहिए। जस्टिस दिनेश मेहता ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति दंपती के साथ दुर्व्यवहार करता है तो कोर्ट्स और पुलिस उनके बचाव में आते हैं। लेकिन वे सुरक्षा का एक अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकते। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऐसे कोई सबूत नहीं है जिससे ये लगे कि उन पर हमले की आशंका है। जस्टिस दिनेश मेहता ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत किसी योग्य मामले में कपल को सुरक्षा मुहैया करा सकती है, लेकिन जो उन्होंने समर्थन मांगा वह उन्हें नहीं दे सकते। कोर्ट ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें सुरक्षा की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों को देखकर नहीं लगता युवक-युवती का जीवन खतरे में है। कोर्ट ने कहा कि कपल को एक-दूसरे का समर्थन करना और समाज का सामना करना सीखना होगा। साथ ही उनमें परिवार को समझाने की क्षमता भी होनी चाहिए।