CLU Gang: ये भूमि घोटाले हरियाणा में कांग्रेस की वापसी की राह में रोड़ा, करोड़ों की जमीन चहेतों को दी
By: Priyanka Maheshwari Wed, 11 Sept 2024 6:42:39
हरियाणा में विधानसभा चुनाव 2024 चल रहे हैं। 5 अक्टूबर को मतदान व 8 अक्टूबर को मतगणना होगी। राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की सूचियां जारी करने में लगी हैं। हरियाणा में एक दशक से भाजपा की सरकार है। भाजपा जीत की हैट्रिक बनाने और कांग्रेस वापस की कोशिश कर रही है, मगर कांग्रेस कार्यकाल में हुए भूमि घोटाले राह मुश्किल कर रहे हैं।
हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान कई ऐसे घोटाले सामने आए, जिनमें गरीबों और कमजोर वर्गों के हितों की अनदेखी करते हुए ताकतवर लोगों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे। इस शासनकाल में कई भूमि अधिग्रहण और संसाधन वितरण में अनियमितताओं की खबरें आईं, जो पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
हरियाणा की कांग्रेस कार्यकाल के भूमि घोटाले
आईएमटी मानेसर घोटाला
रिलायंस इंडस्ट्री घोटाला
गुड़गांव एम्यूजमेंट पार्क घोटाला
डीएलएफ को वजीराबाद जमीन की बिक्री
स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी घोटाला
राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट जमीन घोटाला
रोहतक जमीन घोटाला
उल्लाहवास जमीन घोटाला
कुरुक्षेत्र, 326 कनाल जमीन घोटाला
पंचकूला औद्योगिक भूखंड आवंटन घोटाला
23413 एकड़ जमीन की बिक्री
नाला घोटाला
गरीबों की जमीनें, ताकतवर लोगों के फायदे
कांग्रेस सरकार के दौरान एक पैटर्न देखने को मिला जिसमें कमजोर वर्गों और गरीब किसानों की जमीनें छीनकर प्रभावशाली लोगों और बड़े निगमों को फायदा पहुंचाया गया। उदाहरण के तौर पर, मानेसर के आईएमटी घोटाले में 912 एकड़ जमीन को संदिग्ध तरीके से अधिग्रहित किया गया। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि किस तरह से पारदर्शिता की अनदेखी कर लोगों की संपत्तियों को हथियाया गया।
अनुसूचित जाति के लिए आवासीय भूखंड आवंटन घोटाला
अनुसूचित जाति के लिए निर्धारित आवासीय भूखंडों में भी धांधली का मामला सामने आया, जहां एक ही परिवार के 129 सदस्यों को गलत तरीके से आवंटन किया गया। यह घोटाला संसाधनों के दुरुपयोग और सत्ता के प्रभाव का एक और उदाहरण है, जहां सरकार द्वारा कमजोर वर्गों के अधिकारों का हनन किया गया।
पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जा
पानीपत के नामरहा गांव में पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया, जिससे स्थानीय समुदायों की समस्याएं और बढ़ गईं। यह घटना बताती है कि कैसे कांग्रेस शासन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों का दुरुपयोग किया गया और लोगों के अधिकारों की अनदेखी की गई।
रिलायंस इंडस्ट्री और अन्य भूमि घोटाले
कांग्रेस शासन में रिलायंस इंडस्ट्री से जुड़े घोटाले में झज्जर-गुड़गांव क्षेत्र में 25,000 एकड़ जमीन को बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर बेचा गया। इसी तरह वजीराबाद में डीएलएफ को जमीन की बिक्री, मनोरंजन पार्क घोटाला और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी घोटाले ने कांग्रेस शासन में भूमि के दुरुपयोग को और उजागर किया।
रोजगार में पक्षपात और भ्रष्टाचार
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दौरान नौकरी के अवसरों का भी विशेष समुदाय के प्रति झुकाव दिखा। "खर्ची -पर्ची" जैसी प्रणाली के तहत ऊंची बोली लगाने वालों को नौकरी मिलती थी, और इसमें मुख्य रूप से पसंदीदा समुदाय को लाभ पहुंचाया गया। इस प्रकार की व्यवस्था ने अन्य समुदायों के लोगों को रोजगार से वंचित कर दिया, जिससे उनके बीच असमानता और निराशा की भावना बढ़ी।
कानून और न्याय की अनदेखी
हुड्डा शासन के दौरान एक समुदाय को विशेष अधिकार दिए गए, जिससे उनके खिलाफ किसी भी कानूनी कार्रवाई की संभावना कम हो गई। यह स्थिति अन्य समुदायों के लिए डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ाती गई। इस दौरान कई लोग न्याय पाने में असमर्थ रहे, और उनकी सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े हुए।