आर्थिक अपराधियों की तरफ नहीं है ED का ध्यान- गहलोत

By: Shilpa Fri, 03 Nov 2023 1:04:43

आर्थिक अपराधियों की तरफ नहीं है ED का ध्यान- गहलोत

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों के माहौल में राजनीतिक दलों की टीका टिप्पणी, उम्मीदवारों को लेकर पार्टियों में चल रहे मंथन और बगावत के स्वर के बीच में एक और ऐसा सुर है जो चुनावी माहौल को डराने में सफल हो रहा है। यह सुर है ईडी अर्थात प्रवर्तन निदेशालय का, जो इन दिनों लगातार उन राज्यों में अपनी गतिविधियों को लेकर चर्चाओं में आ रहा है जहाँ विधानसभा चुनाव होने हैं। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राजनेताओं के आवासों, कार्यालयों और उनके दूसरे अतिरिक्त धंधों पर निदेशालय की छापेमारी लगातार मीडिया की सुर्खियों में जगह बना रही है।

ED की कार्रवाई को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार आरोप लगाती रही कि केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। जब इस बारे में सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल किया गया तो उन्होंने फिर एक बार ED समेत तमाम केंद्रीय एजेंसियों को अपनी साख न गिराने की सलाह दे डाली।

उन्होंने सबसे पहले तो कहा कि ED जिस तरह का व्यवहार पूरे देश में कर रही है वो उनके खुद के हित में नहीं है। ED, IT और CBI प्रीमियर एजेंसी हैं। आय से जुड़े अपराधों पर लगाम कसने के लिए देश को इनकी जरूरत है, लेकिन अब इनका ध्यान डायवर्ट हो गया है और अब ये राजनीतिक दलों के पीछे ही आ रही हैं। इसी दौरान गहलोत ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या इतने बड़े देश में कोई आर्थिक अपराध नहीं हो रहा है। उन्होंने ललित मोदी, नीरव मोदी और विजय माल्या का जिक्र करते हुए कहा कि ED को इन लोगों को पकड़ना चाहिए, क्या इस तरह का कोई उनके सामने नहीं आ रहा है।

गहलोत का कहना है कि इन भगोड़े आर्थिक अपराधियों की तरफ एजेंसियों का ध्यान ही नहीं जा रहा है। बल्कि उनका ध्यान राजनीतिक दलों की तरफ है। ये एजेंसियाँ बिना किसी मामले के राजनीतिक दलों के नेताओं के घर पहुंच रही हैं। हमारे अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के घर पर भी ये टीम बिना किसी केस के गई थी। उनके बेटे वैभव गहलोत को भी बिना किसी मामले के समन भेज दिया गया।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से इन केंद्रीय एजेंसियों की साख को नुकसान पहुंच रहा है और इनकी विश्वसनीयता कम हो रही है। गहलोत का कहना है कि हम चाहते हैं ये एजेंसियां मजबूत रहें ताकि वित्तीय अनिमियता करने वालों में इनका भय रहे, लेकिन अब एजेंसियों के लिए वो प्रियॉरिटी ही नहीं बचे हैं।

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