ज्योति मल्होत्रा जासूसी कांड में रोज़ाना नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान हाई कमीशन में तैनात दानिश वीज़ा डेस्क पर काम कर रहा था। भारत में जासूसी के लिए लोगों को फंसाने के साथ-साथ वह घूसखोरी में भी लिप्त था।
सूत्रों के मुताबिक, दानिश हर वीज़ा फाइल को क्लियर करने के लिए करीब ₹5000 की रिश्वत लेता था। यह राशि गिरफ्तार आरोपी यासीन मोहम्मद के पास जमा रहती थी। यासीन ही क्लाइंट्स को फंसाकर दानिश से मिलवाता था और फिर दानिश के निर्देश पर रिश्वत की रकम लेता था।
WhatsApp वॉयस कॉल्स के ज़रिए ज्योति से संपर्क करता था दानिश
दानिश का मोबाइल नंबर पाकिस्तान हाई कमीशन के नाम पर रजिस्टर्ड है। इसी नंबर से वह ज्योति, गजाला और यासीन से WhatsApp वॉइस कॉल्स और Snapchat पर बातचीत करता था।
गजाला ने पूछताछ में क्या बताया?
गजाला के अनुसार, उसके पति की मृत्यु कोविड के दौरान हो गई थी। वह पहली बार फरवरी और दूसरी बार मार्च में पाकिस्तान हाई कमीशन गई थी। वहां उसकी मुलाकात वीज़ा डेस्क पर दानिश नामक अधिकारी से हुई जिसने उसका मोबाइल नंबर लिया और उसे अपना नंबर भी दे दिया।
दानिश ने गजाला से कहा कि कुछ दस्तावेज़ अधूरे हैं और उसे दोबारा हाई कमीशन आना होगा। इसके बाद दानिश और गजाला की बातचीत बढ़ती गई। दानिश ने शादीशुदा होने के बावजूद गजाला से शादी की इच्छा जाहिर की और उसे अपनी पत्नी को बताने की बात भी कही।
गजाला के अनुसार, दानिश ने उसे ₹20,000 UPI के जरिए भेजे, जो यासीन ने ट्रांसफर किए। दानिश दिल्ली में घूमने और शॉपिंग करते वक्त शॉप के QR कोड भेजकर भुगतान करवाता था। इसके साथ ही उसने गजाला से पूछा कि क्या उसके पास पंजाब की आर्मी से जुड़ी जानकारी है या वह उसे अरेंज कर सकती है। दानिश ने गजाला को लाहौर में व्यापार करने का प्रस्ताव भी दिया।
यासीन ने क्या कबूला?
यासीन ने बताया कि वह दो बार पाकिस्तान जा चुका है और दानिश को अच्छे से जानता है। वीज़ा के सिलसिले में हाई कमीशन में दानिश से मुलाकात के बाद वह उसके लिए काम करने लगा। दानिश ने उससे कहा कि जो लोग वीज़ा लगवाने आते हैं, उनसे कमीशन के रूप में ₹5000 लो और रकम अपने पास रखो। बदले में उनके वीज़ा में मदद मिलेगी।
यासीन ने 4 एप्लिकेशन पर ₹20,000 लिए और दानिश के निर्देश पर गजाला के UPI अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। उसने यह भी बताया कि वह गुजरेवाला (पाकिस्तान) अपने रिश्तेदारों से मिलने गया था।
देवेंद्र सिंह ढिल्लों की भूमिका
देवेंद्र सिंह ढिल्लों ने बताया कि वह लगभग 3000 लोगों के जत्थे के साथ करतारपुर कॉरिडोर गया था। बाघा बॉर्डर पर एक पाकिस्तानी स्कॉट के माध्यम से उसकी मुलाकात विक्की नाम के पाकिस्तानी नागरिक से हुई। विक्की ने उसकी मदद की और लाहौर में अरसलान नाम के व्यक्ति से मिलवाया। अरसलान के साथ एक महिला भी थी, जिससे उसकी बातचीत और नंबर एक्सचेंज हुआ। भारत लौटने के बाद उस महिला ने उसे ब्लॉक कर दिया।
ढिल्लों ने बताया कि विक्की ने उससे ₹1500 एक भारतीय QR कोड नंबर पर डालने को कहा और कहा कि यह एक गरीब की मदद के लिए है। उसने यह रकम डाल दी। इसके अलावा, विक्की ने उससे भारतीय सिम कार्ड की मांग भी की।
एजेंसियों की जांच जारी
फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां यह जांच कर रही हैं कि वह भारतीय मोबाइल नंबर किसका था और कैसे वह पाकिस्तान ISI के हैंडलर विक्की तक पहुंचा।