दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रशासनिक स्तर पर कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सभी निजी स्टाफ की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। साथ ही, आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को अन्य विभागों में नियुक्त किया गया था, उन्हें तत्काल अपने मूल विभागों में लौटने का निर्देश दिया गया है। कई अधिकारी और कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर विभिन्न बोर्ड और कॉरपोरेशन में कार्यरत थे। अब उन्हें अपने मूल विभाग में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। इससे पहले, बीते सप्ताह सभी विभागों से केजरीवाल सरकार के तहत नियुक्त किए गए संविदा कर्मचारियों और निजी स्टाफ की जानकारी मांगी गई थी।
रेखा गुप्ता के साथ 6 मंत्रियों ने ली शपथ
दिल्ली में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्ता में वापसी की है। गुरुवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिससे वह दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बन गईं। उनसे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी इस पद पर रह चुकी हैं। रेखा गुप्ता के साथ छह अन्य मंत्रियों—परवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, कपिल मिश्रा, रविंद्र इंद्राज और पंकज सिंह—ने भी शपथ ग्रहण की।
नई सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में दो अहम फैसले लिए। पहला, दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू करने का निर्णय लिया गया, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। दूसरा, CAG की 14 रिपोर्ट विधानसभा के पहले सत्र में पेश करने का फैसला किया गया। इन महत्वपूर्ण फैसलों से साफ है कि नई सरकार स्वास्थ्य और पारदर्शिता को प्राथमिकता दे रही है।
इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता हासिल की, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) को केवल 22 सीटें मिलीं, जिससे उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी की इस ऐतिहासिक जीत ने दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है।