चीन ने बढ़ाई चिंता, क्या भारत में आएगी कोरोना की नई लहर? एक्सपर्ट ने कही ये बात
By: Priyanka Maheshwari Wed, 16 Mar 2022 10:21:08
चीन एक बार कोरोना के बढ़ते केसों की वजह से परेशान हो गया है। इस समय चीन में ओमिक्रॉन का सबवैरिएंट BA.2 मामलों में तेजी लेकर आया है। सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में मिला ये सबवैरिएंट अब चीन के अलावा पश्चिमी यूरोप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है। चीन में स्थिति इतनी विस्फोटक हो चुकी है कि अब फिर कई इलाकों में लॉकडाउन लग चुका है और लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं। चीन में पिछले 24 घंटे में देश में 5,280 नए मामले दर्ज हुए हैं जिनमें 3,507 घरेलू केस हैं। महामारी की वुहान से हुई शुरुआत के बाद से दूसरी बार ये सर्वाधिक मामले हैं। बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन के 13 शहरों और काउंटियों में लॉकडाउन लगा दिया गया है। कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के कारण करीब 5 करोड़ चीनी नागरिक अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं।
विश्व स्वास्थ संगठन मानता है कि BA.2 के पास ग्रोथ एडवांटेज जरूर है लेकिन ये ज्यादा घातक नहीं है। वहीं क्योंकि चीन जैसे देशों ने जीरो कोविड पॉलिसी पर ज्यादा जोर दिया, इसी वजह से वहां पर हर्ड इम्यूनिटी वाली स्टेज पैदा नहीं हो पाई। सारा फोकस टीकाकरण पर दिया गया। इसके अलावा वैक्सीन को लेकर कुछ भ्रामक खबरें भी वहां वायरल रहीं, उसका असर भी चीन में देखने को मिल गया।
क्या भारत में आएगी एक और लहर?
अब इस ट्रेंड को देख सवाल उठता है कि क्या भारत में भी कोरोना की एक और लहर आ जाएगी? जैसे चीन, पश्चिमी यूरोप और हांगकांग में मामले बढ़ रहे हैं, क्या भारत में भी एक बार फिर कोरोना स्थिति विस्फोटक हो जाएगी। इस बारे में कोविड टास्क फोर्स के हेड डॉक्टर नरेंद्र कुमार का कहना है कि भारत में BA.2 की वजह से कोरोना मामले बढ़ने की संभावना कम दिखाई पड़ती है। उनके मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर के दौरान भारत में 75% मामले BA.2 सबवैरिएंट के ही थे। ऐसे में IIT कानपुर जो जून में नई लहर की प्रिडिक्शन कर रहा है, उसमें ज्यादा दम दिखाई नहीं देता।
डॉक्टर राजीव का मानना है कि भारत और चीन की स्थिति में काफी फर्क है। उन्होंने कहा कि भारत में इन्फेक्शन, रीइन्फेक्शन और ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन काफी देखने को मिला है, इस वजह से यहां पर लोगों की इम्यूनिटी में थोड़ा इजाफा देखने को मिला है। डॉक्टर राजीव की माने तो इसी कारण की वजह से तीसरी लहर के दौरान मामले जितने तेजी से बढ़े, उतनी तेजी से घट भी गए।