केदारनाथ : यात्रियों की भीड़ से घोड़े-खच्चरों की आई शामत, एक दिन में लगा रहे 2-3 चक्कर, 16 दिन में 60 मरे

By: Pinki Fri, 27 May 2022 09:29:12

केदारनाथ : यात्रियों की भीड़ से घोड़े-खच्चरों की आई शामत, एक दिन में लगा रहे 2-3 चक्कर, 16 दिन में 60 मरे

समुद्रतल से 11750 फिट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तक पहुंचने के लिए बाबा केदार के भक्तों को 18 से 20 किमी की दूरी तय करनी होती है। इस दूरी में यात्री को धाम पहुंचाने में घोड़ा-खच्चर अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन इन जानवरों की ही कोई कद्र नहीं की जा रही है। इन जानवरों के लिए भरपेट चना, भूसा और गर्म पानी भी नहीं मिल पा रहा है। तमाम दावों के बावजूद पैदल मार्ग पर एक भी स्थान पर घोड़ा-खच्चर के लिए गर्म पानी नहीं है और न ही इनके मरने के बाद विधिवत दाह संस्कार किया जा रहा है। संचालक और हॉकर रुपये कमाने के लिए घोड़ा-खच्चरों से एक दिन में गौरीकुंड से केदारनाथ के 2 से 3 चक्कर लगवा रहे हैं और रास्ते में उन्हें पलभर भी आराम नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण वह थकान से चूर-चूर होकर दर्दनाक मौत का शिकार हो रहे हैं। केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के मरने के बाद मालिक और हॉकर उन्हें वहीं पर फेंक रहे हैं, जो सीधे मंदाकिनी नदी में गिरकर नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। ऐसे में केदारनाथ क्षेत्र में महामारी फैलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं, अभी तक 1.25 लाख तीर्थयात्री घोड़े-खच्चरों से अपनी यात्रा कर चुके हैं, जबकि अन्य तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर और पैदल चलकर धाम पहुंचे हैं।

केदारनाथ की रीढ़ कहे जाने वाले इस जानवर की कोई सुध लेने वाला नहीं है। सिर्फ 16 दिनों में 55 घोड़ा-खच्चरों की पेट में तेज दर्द उठने से मौत हो चुकी है, जबकि 4 घोड़ा-खच्चरों की गिरने से और एक की पत्थर की चपेट में आने से मौत हुई है। बावजूद इसके घोड़े-खच्चरों की सुध नहीं ली जा रही है।

घोड़ा-खच्चरों का संचालन करने वाले जिला पंचायत रुद्रप्रयाग की अध्यक्ष अमरदेई शाह ने कहा कि गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक कहीं पर भी घोड़े-खच्चरों के लिए आराम करने के लिए टिन शेड का निर्माण नहीं किया गया है और न ही अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं। घोड़े-खच्चर मालिक भी अपने जानवरों के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं। उन्होंने कहा कि घोड़ा-खच्चर संचालक और हॉकर घोड़ा-खच्चरों की सुध नहीं ले रहे हैं, जो बड़ा अपराध है। यात्रा मार्ग पर मर रहे घोड़ा-खच्चरों को नदी में डाला जा रहा है, जो अच्छा नहीं है। मृत जानवर का सही तरीके से दाह संस्कार कर उसे जमीन में नमक डालकर दफनाया जाए। यात्रा में संबंधित कर्मचारियों को मॉनीटरिंग के निर्देश दिए गए हैं।

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