अजमेर जिले की पीसांगन तहसील के नाथुथाला गांव में गुरुवार को एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। गांव की एक विधवा महिला के दो मासूम बेटे खेलते-खेलते घर में रखे एक लोहे के संदूक में छिप गए, लेकिन दुर्भाग्यवश ढक्कन बंद हो जाने से भीतर ही फंस गए। ऑक्सीजन की कमी से दोनों बच्चों की संदूक के अंदर ही दम घुटने से मौत हो गई।
घटना की जानकारी मिलते ही एएसपी ग्रामीण दीपक कुमार पुलिस दल के साथ मौके पर पहुंचे। प्रारंभिक जांच में यह हादसा एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना प्रतीत हो रही है। दोनों बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया है और मामले की जांच अभी जारी है।
गांव के सरपंच कल्लू चीता के अनुसार, लाडली खातून अपने दो बेटों – 6 वर्षीय साबिर चीता और 4 वर्षीय समीर चीता – के साथ गांव में रहती थीं। पति की मृत्यु के बाद वह मजदूरी कर अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही थीं। गुरुवार को भी वह रोज़ की तरह मजदूरी पर गई थीं, और दोनों बच्चे घर पर अकेले थे।
खेलते-खेलते दोनों बच्चे घर में रखे लोहे के बड़े संदूक में छिप गए। खेल में मस्त बच्चों को यह अंदाजा नहीं था कि संदूक का ढक्कन अपने आप बंद हो सकता है और उन्हें बाहर निकलने का मौका नहीं मिलेगा। ढक्कन बंद होते ही वे भीतर फंस गए, और समय पर ऑक्सीजन न मिलने के कारण दोनों की संदूक के अंदर ही मृत्यु हो गई।
शाम को जब लाडली खातून काम से लौटीं तो उन्होंने अपने बच्चों को खोजा, लेकिन वे कहीं नहीं मिले। काफी देर तक तलाश करने के बाद जब संदूक खोला गया, तो दोनों बच्चे बेहोश हालत में मिले। ग्रामीणों की मदद से तुरंत उन्हें पीसांगन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस दुखद हादसे ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया है।