सिराजुद्दीन हक्कानी: अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी को तालिबान ने बनाया अफगानिस्तान का गृहमंत्री, ISI का दायां हाथ
By: Pinki Wed, 08 Sept 2021 08:42:20
तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी नई सरकार की मंगलवार को घोषणा कर दी है। तालिबान घोषित आतंकी संगठन है तो इसमें दो राय नहीं है कि सरकार में दहशतर्दों को ही जगह मिलनी थी, और मिली भी। अमेरिका को चैलेंज करने वाले सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया है। सिराजुद्दीन हक्कानी कितना खूंखार आतंकी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका ने उस पर 50 लाख डॉलर यानी तकरीबन 37 करोड़ रुपए का इनाम घोषित कर रखा है। अमेरिका सिराजुद्दीन हक्कानी को अपना बड़ा दुश्मन मानता है।
सिराजुद्दीन और उसके पिता जलालुद्दीन हक्कानी ने 2008 में काबुल के भारतीय दूतावास पर भी हमला कराया था। इसमें 58 लोग मारे गए थे। 2011 में अमेरिका के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ रहे जनरल माइक मुलेन ने हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का दायां हाथ और एजेंट बताया था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI हक्कानी नेटवर्क को पनाह देती रही है और उसे समय-समय पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करती रही है। पूर्वी अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क का प्रभाव सबसे ज्यादा है। अफगानिस्तान में प्रभावी इस संगठन का बेस पाकिस्तान की उत्तर-पश्चिम सीमा में है। ISI ने हक्कानी नेटवर्क का इस्तेमाल अफगानिस्तान और अमेरिका दोनों के खिलाफ भी किया। ये एजेंसी पैसे भी लेती और हमले भी कराती।
अफगानिस्तान में फिदायीन या आत्मघाती हमले शुरू करने वाला हक्कानी नेटवर्क और खास तौर पर यही सिराजुद्दीन हक्कानी माना जाता है। अफगानिस्तान में इन हमलों में अब तक हजारों बेकसूर मारे जा चुके हैं। सिराजुद्दीन ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या की साजिश भी इन्हीं हमलों के तहत रची थी। ये नाकाम रही। सिराजुद्दीन 2001 के बाद से ही हक्कानी नेटवर्क का सरगना बना हुआ है। सिराजुद्दीन पाकिस्तान के वजीरिस्तान में ही रहता है।
सिराजुद्दीन हक्कानी क्रूरता के मामले में अपने पिता से दो कदम आगे है। साल 2008 से लेकर 2020 तक अफगानिस्तान में हुए कई बड़े आतंकवादी हमलों में सिराजुद्दीन का हाथ रहा है। यह भी बताया जाता है कि हक्कानी नेटवर्क से 15 हजार आतंकी जुड़े हुए हैं।
हक्कानी नेटवर्क का खूनी खेल
- 2001: सिराजुद्दीन हक्कानी नेटवर्क का चीफ बना
- 2008 : में भारतीय दूतावास पर हमला, 58 की मौत
- 2012 : में अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को बैन किया
- 2014 : में पेशावर स्कूल पर हमला, 200 बच्चे मारे गए
- 2017 : काबुल में हमला, 150 से ज्यादा लोगों की मौत
यह बहुत कम लोग जानते है कि तालिबान किसी एक संगठन का नाम नहीं है। इसमें कई गुट, कई कबीले और कई धड़े हैं। हक्कानी नेटवर्क उनमें से एक है। अफगान तालिबान अलग है और पाकिस्तान तालिबान अलग। बस एक चीज जो दोनों में मेल खाती है। वह यह कि सभी कट्टरपंथी और आतंकी संगठन हैं जो शरीयत के हिसाब से हुकूमत चलाना चाहते हैं।
तालिबान और हक्कानी नेटवर्क अपनी सुविधा के हिसाब से एक-दूसरे का इस्तेमाल करते हैं। अफगान तालिबान को सत्ता में आने के लिए हक्कानी नेटवर्क ने दिल-ओ-जान से मदद की। नतीजा सामने है। उसका सरगना अब अफगानिस्तान का होम मिनिस्टर होगा। अगर आसान शब्दों में समझना चाहते है तो यह कह सकते है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क एक होकर भी अलग हैं, और अलग होकर भी एक हैं।
पूरी कैबिनेट इस तरह है
प्रधानमंत्री - मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद
डिप्टी PM 1 - मुल्ला बरादर
डिप्टी PM 2 - अब्दुल सलाम हनाफी
गृह मंत्री - सिराजुद्दीन हक्कानी
रक्षा मंत्री - मोहम्मद याकूब मुजाहिद
वित्त मंत्री - मुल्ला हिदायतुल्ला बदरी
विदेश मंत्री - मौलवी आमिर खान मुतक्की
शिक्षा मंत्री - शेख मौलवी नूरुल्ला मुनीर
न्याय मंत्री - मौलवी अब्दुल हकीम शरिया
उच्च शिक्षा मंत्री - अब्दुल बाकी हक्कानी
ग्रामीण विकास मंत्री - यूनुस अखुंदजादा
शरणार्थी मामलों के मंत्री - खलीलउर्रहमान हक्कानी
जन कल्याण मंत्री - मुल्ला अब्दुल मनन ओमारी
मिनिस्टर ऑफ कम्युनिकेशन - नजीबुल्ला हक्कानी
माइन्स एंड पेट्रोलियम मंत्री - मुल्ला मोहम्मद अस्सा अखुंद
मिनिस्टर ऑफ इलेक्ट्रिसिटी - मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसौर
मिनिस्टर ऑफ एविएशन - हमीदुल्लाह अखुंदजादा
मिनिस्टर ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कल्चर - मुल्ला खैरुल्लाह खैरख्वाह
मिनिस्टर ऑफ इकोनॉमी - कारी दिन मोहम्मद हनीफ
हज एंड औकाफ मिनिस्टर - मौलवी नूर मोहम्मद साकिब
मिनिस्टर ऑफ बॉर्डर्स एंड ट्राइबल अफेयर्स - नूरउल्लाह नूरी
उप विदेश मंत्री - शेर मोहम्मद स्टेनेकजई
उप वित्त मंत्री - मुल्ला मोहम्मद फाजिल अखुंद
संस्कृति मंत्रालय के डिप्टी मिनिस्टर - जबीउल्लाह मुजाहिद
रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ - कारी फसीहउद्दीन (ताजिक मूल के तालिबान कमांडर, इनके नेतृत्व में ही तालिबान ने पंजशीर की लड़ाई लड़ी और जीती)
सेना प्रमुख - मुल्ला फजल अखुंद
डायरेक्टर जनरल ऑफ इंटेलिजेंस - अब्दुल हक वासिक
डिप्टी चीफ ऑफ इंटेलिजेंस - मुल्ला ताज मीर जवाद
नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्यूरिटी (NDS) प्रमुख - मुल्ला अब्दुल हक वासिक
चीफ ऑफ अफगानिस्तान बैंक - हाजी मोहम्मद अद्दरैस
एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ अफेयर्स - मौलवी अहमद जान अहमदी
चीफ ऑफ स्टाफ - फसिहुद्दीन
मंत्रालय स्पष्ट नहीं - शेख मोहम्मद खालिद