
मनरेगा को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी के आरोपों पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार (27 दिसंबर, 2025) को तीखा पलटवार किया। उन्होंने कांग्रेस पर सिर्फ राजनीतिक शोर मचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी के पास न तो साफ नीयत है और न ही कोई ठोस नीति। शिवराज ने कहा कि यह वही कांग्रेस है, जिसने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए महात्मा गांधी के नाम का उपयोग किया, लेकिन जमीनी स्तर पर मजदूरों और ग्रामीणों के हितों की अनदेखी की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में न केवल मनरेगा के बजट में कटौती की गई, बल्कि मजदूरी दरों को लंबे समय तक स्थिर रखा गया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जो पार्टी कभी श्रमिकों के अधिकारों को सीमित करती रही, वही आज सहानुभूति दिखाते हुए घड़ियाली आंसू बहा रही है।
शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किए गए एक संदेश में कहा कि आज सरकार तकनीक, पारदर्शिता और समयबद्ध भुगतान के जरिए यह सुनिश्चित कर रही है कि मजदूरी की राशि सीधे मेहनतकश के खाते में पहुंचे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस व्यवस्था में भी राजनीति दिखाई दे रही है। अब इस योजना के तहत फैसले दिल्ली के दफ्तरों में नहीं, बल्कि गांव की चौपालों पर लिए जा रहे हैं, जहां ग्राम पंचायतें स्वयं अपनी जरूरतों के अनुसार योजना तैयार कर रही हैं।
रोजगार के दिन घटे नहीं, बल्कि बढ़े हैं: शिवराज
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि मनरेगा को कमजोर नहीं, बल्कि और अधिक सशक्त बनाया गया है। उन्होंने कहा कि रोजगार के दिनों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 125 किया गया है। यदि तय समय सीमा में काम उपलब्ध नहीं कराया जाता, तो बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान है। वहीं मजदूरी भुगतान में देरी होने पर अतिरिक्त मुआवजा देने की व्यवस्था भी लागू की गई है। शिवराज ने कहा कि इससे साफ है कि रोजगार की सुरक्षा कम नहीं हुई, बल्कि पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है।
उन्होंने आगे बताया कि ग्राम सभा और पंचायतों के अधिकारों को सीमित नहीं किया गया, बल्कि उन्हें और ज्यादा ताकत दी गई है। अब कार्यों की पहचान और प्राथमिकता ग्राम सभा तय करेगी। योजनाओं के क्रियान्वयन, निगरानी और गुणवत्ता की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर सुनिश्चित की गई है। इसके साथ ही सोशल ऑडिट को अनिवार्य बनाकर खर्च और भुगतान की सार्वजनिक समीक्षा की व्यवस्था की गई है। महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों और पूरे समुदाय की सक्रिय भागीदारी पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
मजदूरों के अधिकार भीख नहीं, सम्मानजनक हक हैं: शिवराज चौहान
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश की हर पंचायत की परिस्थितियां समान नहीं होतीं। जो पंचायतें सबसे अधिक पिछड़ी हैं, जहां आज भी रोजगार की भारी जरूरत है और बुनियादी ढांचे की कमी है, वहां ज्यादा संसाधन, अतिरिक्त सहायता और अधिक अवसर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत मजदूरों के अधिकार किसी खैरात की तरह नहीं, बल्कि सम्मानजनक सुरक्षा के रूप में सुनिश्चित किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि समय पर काम, सम्मानजनक मजदूरी और सुरक्षित कार्य-परिस्थितियां इस योजना की नींव हैं। पारदर्शी और समयबद्ध भुगतान, टिकाऊ परिसंपत्तियों का निर्माण और आजीविका से जुड़े कार्यों के जरिए स्थायी आय वृद्धि पर खास ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि यहां अधिकार दया पर नहीं, बल्कि गारंटी और आत्मसम्मान के साथ दिए जा रहे हैं।
वीबी-जी राम जी ग्रामीण भारत की नई दिशा है: शिवराज
अपने बयान के अंत में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘वीबी–जी राम जी’ ग्रामीण भारत के भविष्य की रूपरेखा है। इसका उद्देश्य सशक्त गांव और सम्मानित मजदूर तैयार करना है। उन्होंने कहा कि सरकार का संकल्प ग्राम स्वराज और आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है, जबकि विजन गांव आधारित विकास का है। श्रम का सम्मान, जनभागीदारी और सामाजिक जवाबदेही ही इस मॉडल का मूल आधार है।













