
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी सुर्खियों में आ गईं, जब वे एक कुत्ते के साथ संसद परिसर में पहुंचीं। मीडिया ने जब इस पर उनसे सवाल किया, तो उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “यह कुत्ता बिल्कुल शांत है, काटता नहीं… काटने वाले तो संसद के अंदर बैठे सरकार चलाने वाले लोग हैं।” उनका यह बयान तेजी से चर्चा का विषय बन गया।
इसी विवाद के बीच खबरें सामने आईं कि उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है। जब इस मुद्दे पर पत्रकारों ने उनसे प्रतिक्रिया मांगी, तो चौधरी ने बेबाक अंदाज़ में ‘भौं-भौं’ की आवाज निकालकर जवाब दिया। साथ ही दो टूक कहा कि अगर प्रस्ताव लाया गया, तो उसका करारा जवाब मिलेगा। भाजपा ने उन पर संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है।
मंगलवार को मीडिया से बातचीत करते हुए चौधरी ने कहा, “मैं क्या कहूं… भौं-भौं ही कहूंगी। जब प्रस्ताव आएगा, तब देखा जाएगा। मैं उससे घबराने वाली नहीं हूं।” उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ प्रस्ताव लाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे भी एक बार बैलगाड़ी लेकर संसद आए थे, तो आज उनके द्वारा कुत्ते को लाना अचानक कैसे विवाद बन गया? उनका कहना था कि हिंदू परंपराओं में कुत्तों का भी अपना महत्व है और उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा है।
चौधरी ने आगे बताया कि वह आवारा कुत्ते को केवल पशु चिकित्सक के पास ले जा रही थीं और इसी दौरान संसद पहुंचीं। उनका कहना था कि इस पूरी घटना को बेवजह राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
VIDEO | Parliament Winter Session: Congress MP Renuka Chowdhury reacts over reports that the Rajya Sabha is considering initiating a privilege motion against her over her recent remarks involving dogs, says, "I will see when it will be brought... I will give a befitting reply..."… pic.twitter.com/yXifawrLT3
— Press Trust of India (@PTI_News) December 3, 2025
भाजपा का पलटवार
भाजपा की ओर से मंगलवार को संबित पात्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने संसद की गरिमा, वहां काम करने वाले सांसदों, कर्मचारियों, सुरक्षा कर्मियों और अधिकारियों का सम्मान आहत किया है। पात्रा ने कहा, “राहुल गांधी और रेणुका चौधरी के बयानों ने संसद की संवैधानिक प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाया है। दोनों को याद रखना चाहिए कि सांसद होने का मतलब जिम्मेदारी भी है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपनी निराशा में इस हद तक गिर गई है कि अब अपने ही सांसदों और सहयोगियों के प्रति भी सम्मान नहीं बचा। पात्रा का कहना था, “राजनीतिक मतभेद होना स्वाभाविक है, सहमति-असहमति चलती रहती है, लेकिन हम दुश्मन नहीं हैं कि एक-दूसरे के खून के प्यासे हों।”














