सिंगल मदर के लिए चुनौतियों से भरा होता हैं बच्चे की अच्छी परवरिश करना, जानें इसके टिप्स
By: Ankur Wed, 24 Aug 2022 5:02:17
कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं कि कुछ महिलाओं को पति से तलाक या उनकी मृत्यु के बाद अपने बच्चे की परवरिश करनी पड़ती हैं। सिंगल मदर आज के वक्त में बहुत आम बात है जहां महिला के कंधों पर बच्चे की सिर्फ भावनात्मक ही नहीं आर्थिक जिम्मेदारी भी आती है। सिंगल मदर होना चुनौतियों से भरा काम होता हैं क्योंकि उनके कंधों पर मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी होती है। हांलाकि थोड़ी सी समझदारी और जागरूकता से काम लिया जाए तो आप एक बेहतरीन मां बन सकती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें सिंगल मदर को जरूर ध्यान में रखना चाहिए। इनसे आपको काफी मदद होगी और बच्चों को सही परवरिश मिलेगी। आइये जानते हैं इन बातों के बारे में...
हमेशा पॉजिटिव रहें
सिंगर मदर होने के कारण आपके पास दोहरी जिम्मेदारी होती है ऐसे में आपको हमेशा पॉजिटिव रहने की जरूरत होती है। आपका ऑफिस में दिन चाहे कितना भी बुरा क्यों न बीते, गुस्सा आए लेकिन आपको हमेशा ही शांत और पॉजिटिव रहना है। क्योंकि जब आप शाम को बच्चे के वापस आएंगे तो आपको उन्हें पूरा समय देना है। सिंगल मदर होने के नाते आपको हमेशा ये बात याद रखनी चाहिए कि आपके और बच्चे के बीच कोई तीसरा शख्स नहीं आएगा। इसलिए आप दोनों के लिए इतनी अच्छी बॉन्डिंग होनी चाहिए की वो आपके हर बात शेयर कर सके।
बच्चों के लिए नियम और सीमाएं स्थापित करें
ज्वाइंट पेरेंटिंग प्लान के दौरान, यह भूलना आसान है कि आप वयस्क हैं और वे बच्चे हैं। समानांतर पेरेंटिंग के लिए सबसे अच्छा रास्ता अपने बच्चों और इसमें शामिल एक्स पार्टनर के लिए नियम और सीमाएं स्थापित करना है। आपको ऐसे नियम और दिशानिर्देश बनाने होंगे, जो सभी को स्वीकार्य हों। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे आपके बच्चों के लिए जीवन आसान और सुविधाजनक हो जाएगा। यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि आप अपने बच्चों से किस तरह के व्यवहार की अपेक्षा करती हैं और किस तरह के व्यवहार की अपेक्षा आप अपने एक्स पार्टनर से चाहती हैं या कोई भी व्यक्ति जो उनके जीवन में शामिल है।
सिखाएं जवाब देना
अक्सर सिंगल मॉम लोगों के क्रूर और अनचाहे सवालों से अपनी संतान को बचाने में खुद को असहाय पाती हैं। दूसरे बच्चे जब पूछते हैं कि तुम्हारे पिता कहां हैं या तुम्हारे पापा तुम्हारे साथ क्यों नहीं रहते या स्कूल के फंक्शन्स में या पैरेंट-टीचर मीटिंग में वे क्यों नहीं आते, तो ऐसे में बच्चे असहज हो उठते हैं। अगर सिंगल मॉम शुरू से ही बच्चों को कहानी-किस्सों या उदाहरण के माध्यम से स्थिति स्पष्ट कर दें। तो बच्चों के लिए ऐसे सवालों का जवाब देना आसान हो जाएगा। बच्चा खुद को कॉन्फिडेंट महसूस करने लगता है।
ना कहना है जरूरी
ये बात तो जग जाहिर है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा भावुक होती हैं। सिंगल मांओं के लिए भी यही सबसे बड़ी दिक्कत है। बच्चे की जिद्द के कारण सिंगल मां उन्हें न नहीं कह पाती है। इसका सबसे बड़ा साइड इफेक्ट ये होता है कि बच्चे की जिद्द बढ़ जाती है। इतना ही नहीं कई बार बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए रो देते हैं और मां उन्हें मनाने के लिए भी हां कह देती है। इस स्थिति में कई बार न चाहते हुए सिंगल मदर को अपने बच्चे की जिद्द माननी पड़ती है। इसलिए बच्चे की गलत बातों पर न करना बहुत जरूरी होता है।
मन में भर दें विश्वास
अपने बच्चे को कभी बेचारा महसूस न होने दें और न ही बात-बात में आज तेरे पापा होते तो।।।या भूल कर भी बिन बाप की औलाद ऐसी ही होती हैं जैसे जुमलों का इस्तेमाल न करें। अपने बच्चे के मन में विश्वास भर दें कि वे दूसरे बच्चों से किसी भी तरह से कम नहीं हैं। दूसरा व्यक्ति भी उसे हीन महसूस करवाने की कोशिश करे, तो दृढ़तापूर्वक कह दें कि हम जैसे हैं, बिल्कुल ठीक हैं और जीवन का आनंद उठा रहे हैं।
बच्चे को वक्त दें
सिंगल मदर होने के नाते आपके पास माता-पिता दोनों की जिम्मेदारियां है। ऐसे में आपको उन्हें वक्त देना जरूरी है। अगर ऑफिस के काम में बहुत ज्यादा बिजी हैं, इसके बावजूद बच्चा जरूरत पड़ने पर आपको बुलाता है तो उस वक्त मौजूद रहें। इससे आपके और बच्चे के बीच प्यार का एहसास बढ़ेगा। इमोशनल फीलिंग्स में बच्चा न सिर्फ आपकी बातों को मानेगा बल्कि अनुशासन बढ़ाने की भी कोशिश करेगा, ताकि लोग उसकी मॉम की तारीफ करें।
टाइम मेनेजमेंट सिखाएं
किसी शख्स ने कहा कि जिसने कई डिग्रियां हासिल कर लीं, लेकिन टाइम मैनेजमेंट नहीं सीखा उसने जीवन में कुछ नहीं किया। बच्चे का स्कूल, ट्यूशन, खाना-पीना और खेलने का वक्त तय करें। बच्चे को समझाएं कि वक्त के अनुसार चीजें करने से ही भविष्य बेहतर बनेगा।
बनाएं बॉन्डिंग
सिंगल मॉम्स को अपने बच्चे को मां और बाप दोनों का प्यार देना होता है। ऐसे में आपकी अपने बच्चे के साथ बॉन्डिंग होनी जरूरी है। बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनाने के लिए उसे खूब सारा प्यार करें, उससे बातें करें, खेलें और हो सके तो उससे दोस्त जैसा रिश्ता बनाने की कोशिश करें। जिससे वह अपने मन की हर बात बेझिझक आपसे कह सके।