
बच्चों की असली परवरिश केवल किताबों और स्कूल की पढ़ाई से नहीं होती, बल्कि घर के वातावरण और माता-पिता के व्यवहार से होती है। माँ-बाप आपस में किस तरह बातचीत करते हैं, मुश्किल घड़ी में एक-दूसरे का साथ कैसे निभाते हैं और रिश्तों में सम्मान कैसे बनाए रखते हैं – ये सभी बातें बच्चे की सोच और व्यक्तित्व पर गहरी छाप छोड़ती हैं।
हर दिन बच्चा अपने माता-पिता को देखकर रिश्तों में प्यार, भरोसा और आपसी समझ का वास्तविक अर्थ सीखता है। पेरेंटिंग एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पिता जिस अंदाज़ में अपनी पत्नी को ट्रीट करते हैं, बच्चे उसी से यह सीखते हैं कि भविष्य में उन्हें अपने रिश्तों को कैसे निभाना है।
प्यार, धैर्य और सम्मान की शिक्षा
विशेषज्ञों का कहना है कि जब पति-पत्नी आपसी रिश्ते में धैर्य, प्रेम और सम्मान बनाए रखते हैं, तो बच्चे को यह समझ आता है कि एक स्वस्थ रिश्ते की बुनियाद यही है। बेटी अपने मन में यह धारणा बनाती है कि उसे भी जीवनसाथी से उतना ही सम्मान और प्यार मिलना चाहिए। वहीं बेटा सीखता है कि बड़े होकर उसे अपनी पार्टनर को कैसे अपनापन और इज़्ज़त देनी है। इस तरह घर का सकारात्मक माहौल बच्चों को रिश्तों का असली मूल्य सिखाता है।
मतभेद सुलझाने का सबक
हर रिश्ते में कभी न कभी बहस या झगड़े होना स्वाभाविक है, लेकिन असली मायने इस बात के हैं कि उन मतभेदों को सुलझाया कैसे जाता है। अगर माता-पिता गुस्से में चिल्लाते हैं और आक्रामक हो जाते हैं, तो बच्चा भी यही तरीका अपनाना सीख जाता है। लेकिन जब पति-पत्नी धैर्य, संवाद और समझदारी से झगड़े को खत्म करते हैं, तो बच्चे को यह सबक मिलता है कि समस्याओं को शांतिपूर्ण ढंग से भी हल किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह व्यवहार बच्चों को रिश्तों में धैर्य और आपसी बातचीत की अहमियत समझाता है।
बच्चे हर आदत की नकल करते हैं
बच्चे केवल बातें सुनते ही नहीं, बल्कि माता-पिता की हर छोटी-बड़ी हरकत को कॉपी करते हैं। आप जैसा व्यवहार करते हैं, वैसा ही बच्चा अपने जीवन में अपनाता है। यही वजह है कि माता-पिता को चाहिए कि वे अपने रिश्ते में प्रेम, सम्मान और समझदारी दिखाएं, ताकि बच्चे भी उन्हीं मूल्यों को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना सकें। विशेषज्ञों के अनुसार, घर का वातावरण बच्चों के लिए सबसे बड़ा उदाहरण होता है। माता-पिता जिस तरह अपने रिश्ते को निभाते हैं, वही बच्चे के लिए जीवनभर का सबक बन जाता है।














