हर कपल के लिए आदर्श हैं माता सीता और श्रीराम का रिश्ता, लें उनसे ये सीख
By: Ankur Wed, 07 June 2023 10:22:17
समय के साथ रिश्तों में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं, लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो रिश्तों में सदियों से चली आ रही हैं और इसे मजबूत बनाने का काम करती हैं। ये बातें आपको प्रभु श्रीराम और माता सीता के रिश्ते में भी देखने को मिलती हैं। जब भी आदर्श पति-पत्नी का उदाहरण दिया जाता हैं तो प्रभु श्रीराम और माता सीता का नाम जरूर लिया जाता हैं और इनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। खासतौर से आज के जमाने के मैरिड कपल्स इनके वैवाहिक जीवन से कुछ अहम सबक ले सकते हैं, जो उन्हें मजबूत और खुशहाल शादीशुदा जिंदगी जीने में मदद कर सकते हैं। अगर आप भी सीता-राम की तरह एक आदर्श पति पत्नी बनना चाहते हैं तो उनके रिश्ते से ये गुणकारी बातें जरूर सीखें।
हर परिस्थिति में एक दूसरे के साथ
माता सीता और प्रभु राम ने हर परिस्थिति में एक दूसरे का साथ दिया। राम जी वनवास पर गए तो माता सीता उनके साथ गईं। माता सीता का हरण रावण ने किया तो राम जी उन्हें वापस लाने के लिए युद्ध लड़ गए। अच्छे और बुरे दोनों समय में वह एक दूसरे के साथ रहे। हर पति-पत्नी को राम और सीता के रिश्ते से ये सीख लेनी चाहिए।
रखें अपने साथी पर भरोसा
किसी भी रिश्ते की नींव भरोसा ही होता है। आप रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे पर भरोसा रखें। जैसे सीता को श्रीराम पर पूरा भरोसा था। रावण जब अपहरण कर माता सीता को लंका ले गया तो उन्होंने हार नहीं मानी, क्योंकि उन्हें राम पर पूरा भरोसा था कि वो आएंगे और रावण को मारकर मुझे यहां से ले जाएंगे।
पैसा और पद को अहमियत न देना
माता सीता के स्वयंवर में राजा महाराजा, बड़े-बड़े महारथी शामिल हुए थे। लेकिन माता सीता ने एक राजकुमार को अपने वर के रूप में चुना। माता सीता ने न तो उनका पद देखा और न ही राजपाठ। वहीं जब राम ने अपना राजपाट छोड़कर वनवास जाने का फैसला लिया तो भी माता सीता महलों के ऐशो आराम को छोड़ उनके साथ चल पड़ीं। पति-पत्नी का रिश्ता भी ऐसा ही होना चाहिए।
झगड़े का न पड़ने दें बच्चों पर बुरा असर
आजकल के कपल्स एक दूसरे से झगड़ा होते ही एकदूसरे की बुराई दूसरे लोगों से करना शुरू कर देते हैं। लेकिन माता सीता जब लव और कुश के साथ भगवान श्री राम से अलग होकर रहने लगीं तो उन्होंने कभी भी भगवान राम के लिए अपने मन में कोई बुरा विचार तक नहीं आने दिया। उन्होंनेक्ब्ल्लबग्प्ग्ग अपने पति राम की हमेशा दूसरे लोगों से प्रशंसा ही की। यही वजह है कि लव और कुश ने भी अपने पिता को हमेशा सम्मान की दृष्टि से ही देखा।
जीवनसाथी होने का धर्म निभाना
हर पति-पत्नी को माता सीता और राम जी की तरह एक आदर्श जीवनसाथी का कर्तव्य निभाना चाहिए। माता सीता ने पतिव्रता होने का धर्म निभाया। रावण द्वारा हरण के बाद भी उन्होंने अपनी पवित्रता पर आंच न आने दी। वहीं माता सीता से दूर रहने के बाद भी राम जी ने पतिव्रता रहे। उन्होंने अश्वमेघ यज्ञ किया, जिसमें पत्नी की आवश्यकता होने पर उनकी सोने की प्रतिमा बनाकर उसे साथ बैठाया। न तो माता सीता ने पराए पुरुष और न राम जी ने पराई स्त्री को अपने जीवन में शामिल होने दिया।
त्याग की भावना
पति-पत्नी का रिश्ता चाहे लव मैरेज के कारण बना हो या अरेंज्ड मैरेज के कारण, यह बात सच है कि खुशहाल शादीशुदा जीवन के लिए दोनों ही स्थिति में कपल्स को त्याग तो करना ही पड़ता है। आजकल का त्याग भले ही श्रीराम और सीता जैसा न हो, लेकिन सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति-पत्नी को अपनी इच्छाओं का त्याग जरूर करना पड़ता है। खुद की खुशी से ऊपर साथी की खुशी को चुनना और कॉम्प्रोमाइज करना, ये भाव ही कपल को सही मायने में सुख-दुख का साथी बनाते हैं।